आपका दिन शुभ हो, मंगलमय हो

 

 

 

 

 

आज का चिंतन

 

  • संजय अग्रवाल  

दिल की गिरह खोल दो

 

दिल की गिरह खोल दो

चुप ना बैठो,

कोई गीत गाओ...

एक गीत की ये पंक्तियां

याद आईं तो साथ में

एक ग़ज़ल की यह पंक्तियां भी 

_गाँठ अगर लग जाए तो फिर रिश्ते हों या डोरी_

_लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है_

 

मन की गांठ 

कई बार दूसरों की अप्रिय

अनपेक्षित बातों या व्यवहार से 

मन आहत होता है,

दुखी होता है 

और यदि हम प्रतिक्रिया नहीं दे पाए 

तो यह दुख मन में

निरंतर सालता रहता है 

और संबंधों में एक

गांठ सी पड़ जाती है।

 

असर किस पर और कितना

इसका असर केवल

हमारे मन और

स्वास्थ्य पर ही पड़ता है 

और हमारा ही मात्र

अहित होता है। 

दूसरा इस से कतई

अप्रभावित रहता है

क्योंकि यह विकार या 

बीमारी हमारे मन की है 

उसकी नहीं है। 

मन में गांठें जितनी अधिक होंगी  

हमारी निराशा भी

उतनी अधिक होगी 

और ऊर्जा का स्तर भी

निम्न रहेगा।

 

क्या करें

दूसरे की सोच या

व्यवहार पर हमारा

कतई कोई नियंत्रण नहीं है 

इसलिए उससे परेशान

नहीं होना है 

अपने आत्मविश्वास और

संपूर्ण ऊर्जा के साथ

अपने जीवन को निरंतर 

बेहतर बनाना होता है और  

यही अभीष्ट होता है।

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श्री संजय अग्रवाल आयकर विभागनागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्कसंवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं