आपका दिन शुभ हो... मंगलमय हो...

आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

 

वह बुरा मान जाएगा

 

दूसरा बुरा मान जाएगा,

यह सोचकर हम बहुत सी

सही बातें कह नहीं पाते

सही कार्य कर नहीं पाते

और बाद में

पछताते हैं

कसमसाते हैं।

 

दूसरे की सोच

हर किसी की अपनी

स्वयं की सोच होती है।

वह यदि किसी बात का

बुरा मान रहा है तो

यह उसकी स्वयं की

पसंद और नापसंद

का विषय हो सकता है

और उसकी पसंद

या सोच सदैव सही हो

या हमारे अनुकूल हो

या हमारे हित में हो

यह कतई आवश्यक

नहीं होता है।

 

हमारा कर्तव्य

हर कोई हर किसी को

हमेशा खुश

कर नहीं सकता और

हमेशा खुश

रख नहीं सकता।

इसीलिए हमें अपने

सभी कार्य

अपने विवेक से

अपने पूरे विश्वास से

और

अपने पूरे मन से

करने ही चाहिए

इसी से हम जीवन में

आगे बढ़ सकते हैं।

 

दूसरे का ध्यान रखना

हमें इतना ध्यान

अवश्य रखना चाहिए

कि हमारी वजह से

अनावश्यक ही

दूसरे का दिल न दुखे

लेकिन इस चक्कर में

हम अपने

सही कार्य न करें

यह भी नहीं होना चाहिए।

 

मुझे जांचना होगा कि

दूसरे को बुरा न लग जाए

यह सोचकर मैं

सही कार्य करने से

रुक तो नहीं जाता हूं?

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं