आज का चिंतन 

*संभावना*

संभावना का दृष्टिकोण 

अवसरों  के नए-नए 

द्वार खोलता है और 

आशंका की सोच या प्रवृत्ति 

भय और निराशा के 

अंधकार में धकेल देती है।

 

*दिशा और दशा*

हमारी सोच की दिशा ही 

हमारी दशा का 

निर्धारण करती है।

अतः यदि अपनी सोच को 

हम सकारात्मक रखेंगे 

तो उत्साह और ऊर्जा 

से भर जाएंगे और 

हमेशा बेहतर कर पाएंगे।

 

*आशंका*

अनिष्ट या असफलता 

की आशंका हमें विचलित 

कर देती है किंतु हमें हर क्षण 

ध्यान रखना होगा कि 

आशंका का बादल 

संभावना के असीम आकाश 

से बड़ा कभी भी 

नहीं हो सकता है

होना भी नहीं चाहिए।

 

*खोज*

वर्तमान परिस्थितियों की 

भरपूर समझ 

और पूर्ण स्वीकार्यता 

और अपनी रुचि 

तथा क्षमताओं को 

ध्यान में रखकर ही 

हम संभावनाओं की 

तलाश कर सकते हैं 

और यही अभीष्ट होता है।

 

संजय अग्रवाल 

*सम्पर्क संवाद सृजन*

शुक्रवार 09/08/2024

नागपुर