सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह महात्मा गांधी के शाश्वत सिद्धांत *............................ आलेख .. ओंकार कोसे

सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह महात्मा गांधी के शाश्वत सिद्धांत
* ओंकार कोसे
आज महात्मा गांधी और लालबाहदुर शास्त्री की जयंती है। विश्व में रूस-उक्रेन और इजराईल-फिलीस्तीन, लेबनान, इरान के बीच चल रहे युद्ध के साथ छुटपुट हिंसा की घटनाएं होते ही रहती हैं । ऐसी परिस्थिति में महात्मा गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। महात्मा गांधी ने सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह को अपने जीवन और आंदोलनों के महत्वपूर्ण सिद्धांत के रूप में विश्व के समक्ष स्थापित किया।
अहिंसा:
गांधीजी ने अहिंसा को सिलसिलेवार तरीके से समझाया और उसे अपने आंदोलनों का मूल तत्व बनाया। उनका मानना था कि अहिंसा न केवल शारीरिक हिंसा से बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक हिंसा से भी बचाती है। हिंसा समाज के लिए अभिशाप है इसलिए हिंसा को हर युग में समाज ने अस्वीकार किया है परंतु कुछ शक्तिशाली वर्ग के लोगों ने इसका उपयोग अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए हमेशा किया है और आज भी कर रहे है। गांधीजी पक्के सिद्धांतवादी थे। उन्होंने समाज की इस विकृति को न स्वयं के लिए न समाज के लिए अपनाया बल्कि समाज से इसके समूल नाश के लिए काफी मशक्कत की। वे स्वयं हिंसा के शिकार हुए परंतु उसे उन्होंने अहिंसा के माध्यम से रोकने और समाज को संदेश देने का प्रयास किया और इसलिए आज गांधीजी का कद विश्व में इतना ऊंचा है जिसकी पहले किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।
सत्य :
गांधीजी ने सत्य का अपने जीवन भर मूल्यांकन और प्रयोग किया तथा सत्य के प्रति प्रतिबद्ध रहने का संकल्प लिया व दुनिया को प्रेरित भी किया। वे कहते थे कि सत्य के प्रति सबका आग्रह होना चाहिए । सत्य के साथ सबको खड़ा होना चाहिए। उनका मानना था कि सत्य और अहिंसा का एक-दूसरे के बिना अस्तित्व संभव नहीं हैं । जीवन में सुख शांति और समृद्धि के लिए उनकी सर्वाधिक आवश्यकता हमेशा रहेगी। चुनौतियां अवश्य रहेगी परंतु इसके बिना संसार का काम नहीं चल सकता इसलिए आध्यात्मिक जगत में भी इन सिद्धांतों को धर्माचार्यों द्वारा और तमाम गुरुओं द्वारा अपनाया गया तथा उन्होंने इसका संदेश अपने अनुयायियों को भी दिया। इन सिद्धांतों के लिए जीने वाला और लड़ने वाला व्यक्ति कोई साधारण और कमजोर व्यक्ति नहीं हो सकता है। वह निर्विवाद रूप से शक्तिशाली और बुद्धिमान व्यक्ति ही हो सकता है। जीवन का यह सर्वमान्य सिद्धांत है कि सत्य परेशान हो सकता है किंतु पराजित नहीं और महात्मा गांधी ने अपने जीवन के माध्यम से यह प्रमाणित भी करके दिखा दिया है।
सत्याग्रह :
गांधीजी ने सत्याग्रह को एक शक्तिशाली और नैतिक आंदोलन के रूप में विकसित किया। इसका अर्थ है 'सत्य के लिए आग्रह'। इस आंदोलन में सत्य, अहिंसा, धैर्य और सहिष्णुता का उपयोग किया जाता था। गांधीजी ने इस सिद्धांत को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अस्त्र के रूप में प्रयोग किया और अभूतपूर्व सफलता भी हासिल की। विश्व के सबसे बड़े और शक्तिशाली साम्राज्य से संघर्ष करते हुए उन्होंने हमेशा ही सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के माध्यम से चुनौती दी। इसके लिए उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ा। अपमानित होना पड़ा। हिंसा का शिकार होना पड़ा। जेल में रहना पड़ा। कड़ी आलोचनाओं का शिकार करना पड़ा परंतु वे अपने इन सिद्धांतों से कभी डिगे नहीं और अंततःवे विजयी हुए। उन्होंने अपने सहयोगियों और विरोधियों से भी निरंतर संवाद किया। वैचारिक संघर्ष किया और जनता को जागरूक कर उनका सहयोग लेकर अपने लक्ष्य को हासिल किया। यह दुनिया के इतिहास में गांधीवादी सिद्धांतों की बेहतरीन मिसाल है। आज दुनिया भर की राजनीतिक लड़ाईयों में इन्हीं सिद्धांतों ही साधनों का उपयोग करके शांतिपूर्ण तरीके से बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान निकाला जा रहा है।
आदर्श नेता:
गांधीजी ने राजनीतिक, आध्यात्मिक और समाज सुधारक नेता के रूप में भारत का ही नहीं दुनिया का नेतृत्व किया इसलिए उन्हें विश्वभर में एक महान विचारक, दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु के रूप में स्वीकार किया जाता है। दुनिया भर में महात्मा गांधी की मूर्तियां, स्मारक, संग्रहालय और उनकी किताबें है जो दुनिया का लगातार मार्गदर्शन कर रही हैं । प्रेरणा दे रही हैं। यह उनकी महानता का प्रमाण दे रही है इसलिए दुनिया उन्हें एक आदर्श नेता के रूप में याद करती है।
वैश्विक स्वीकार्यता :
महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा, और सत्याग्रह के सिद्धांतों को विश्व के कई नेताओं ने स्वीकार किया है। उन्होंने गांधीजी को एक आदर्श नेता के रूप में माना और उनके सिद्धांतों को अपनाया है। विशेष रूप से, आइंस्टीन, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, डेस्मंड टूटू, आंग सान सू की और दलाई लामा जैसे नेताओं ने महात्मा गांधी के सिद्धांतों का पालन किया और उनके बताए साधनों का अपने आंदोलनों में उपयोग किया और सफलता हासिल की। मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका के नस्लभेदी शासन के खिलाफ सत्याग्रह का उपयोग किया जबकि मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अमेरिका में नागरिक अधिकारों के लिए समर्थन और अहिंसात्मक आंदोलन की शुरुआत और सफलता इन्हीं अस्त्रों से की। इस तरह दुनिया के विभिन्न देशों के नेताओं ने भी गांधीजी के सिद्धांतों को अपनाया है और उनके आदर्शों का पालन किया है।
प्रासंगिकता:
गांधीजी के सिद्धांतों को आधुनिक युग में भी प्रासंगिक माना जाता है और उनकी विचारधारा और उपायों को समस्याओं के समाधान में एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
समाज में परिवर्तन के कारक:
सत्याग्रह एक अहिंसात्मक आंदोलन का रूप होता है जो सत्य की राह पर चलकर अहिंसात्मक तरीके से समाज में परिवर्तन लाने के लक्ष्य को लेकर चलता है। यह समाज को उत्साहित करता है कि वे अपने अधिकारों के लिए सत्य और अहिंसा के मार्ग से न्याय के लिए संघर्ष करें। यही सब महात्मा गांधी ने अपने जीवन के माध्यम से करके दिखाया। ये मात्र किताबी सिद्धांत नहीं है। उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया और अपने बूते इन सिद्धांतों की सफलता का परचम फैलाकर दिखाया। एशिया, अफ्रीका, अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने अपने स्वतंत्रता संग्राम और अपने नागरिक अधिकारों को प्राप्त करने के लिए इन साधनों के साथ संघर्ष किया और समाज के लिए एक स्वस्थ राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था की स्थापना की है जिससे लोगों के सामाजिक जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है।
गांधी जयंती के अवसर पर विश्व की महान आत्मा को सादर श्रद्धांजलि।
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- ओंकार कोसे, पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल में राजभाषा विभाग में पदस्थ थे. सेवानिवृत्ति के पश्चात भोपाल में निवस कर रहे हैं.