असली प्रधान कौन .................

निर्वाचित सरपंच या सरपंच पति


नई दिल्लीप्रजातंत्र में सबसे निचली इकाई ग्राम पंचायत में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के प्रयासों के तहत महिलाओं का निर्वाचन  हो रहा है। बड़ी संख्या में महिलाएं सरपंच और पंच के पद पर निर्वाचित हो रही हैं लेकिन निर्वाचित प्रतिनिधियों के स्थान पर उनके पति, पुत्र अथवा घर के अन्य लोग काम करते हैं। सरपंच पति तो अब प्रचलित पदनाम हो गया है। ये सरपंच पति ग्राम पंचायतों में सरपंच की कुर्सी पर तो बैठते ही हैं, सारे काम वे ही करते हैं। और ताज्जुब तो यह है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने भी सरपंच पतियों को मौखिक रूप से मान्यता दे दी है। हालांकि कुछ जागरूक महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति सजग हैं और वे सरपंच के दायित्व का स्वयं निर्वहन कर रही हैं लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। यह बात भी सही है कि ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवस्था के तहत महिलाओं को अधिकार सम्पन्न बनाना है लेकिन पारिवारिक, शैक्षणिक, सामाजिक स्थित्तियों के कारण वे अपने दायित्व को पूरा करने में असमर्थ रहती हैं।

     इसी कारण पंचायती राज मंत्रालय  ने स्‍थानापन्‍न प्रतिनिधित्व (निर्वचित प्रतिनिधि के स्थान पर दूसरों के काम करना) को समाप्‍त करने और जमीनी स्तर पर वास्तविक महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए एक अग्रणी अभियान शुरू किया है। इस पहल के हिस्से के रूप मेंपंचायती राज मंत्रालय ने स्थानीय ग्रामीण शासन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों से जुड़ी आकर्षक डिजिटल सामग्री की एक श्रृंखला के निर्माण के लिए द वायरल फीवर (टीवीएफके साथ सहयोग किया है। व्यापक रूप से प्रशंसित वेब-सीरीज़ पंचायत की दुनिया पर बनीटीवीएफ की इस प्रोडक्शन में नीना गुप्ताचंदन रॉय और फैसल मलिक जैसे प्रसिद्ध कलाकार शामिल हैं।

इसी वेब सीरिज की पहली फिल्म, “ असली प्रधान कौन?” का प्रीमियर विगत 4 मार्च को नई दिल्ली में आयोजित किया गयाइस फिल्म को देश भर से पंचायती राज संस्थाओं की 1,200 से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों ने देखा

      फिल्म असली प्रधान कौन?दर्शाती है कि एक महिला ग्राम प्रधान लोक कल्याण के लिए अपनी शक्तियों का कितने प्रभावी ढंग से प्रयोग करती है। " असली प्रधान कौन?"   'सरपंच पति' संस्कृति के मुद्दे को सामने लाती है - जहां परिवार के पुरुष सदस्य अनौपचारिक रूप से निर्वाचित महिला नेताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं - एक ऐसी प्रक्रिया जो पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के संवैधानिक जनादेश को कमजोर करती है।मशहूर अभिनेत्री नीना गुप्ता ने अपनी भूमिका के बारे में बात करते हुए कहा, "ऐसी कहानियों का हिस्सा बनना हमेशा खुशी की बात होती हैजिनका एक उद्देश्य होता है। असली प्रधान कौनसिर्फ एक और प्रोडक्शन नहीं है - यह ग्रामीण भारत में महिलाओं के सामने आने वाली वास्तविक जीवन की चुनौतियों का प्रतिबिंब है। मैं दर्शकों को यह देखने के लिए उत्साहित हूं कि कहानी के माध्यम से यह संदेश कितनी खूबसूरती से दिया गया है"।

अभिनेता दुर्गेश कुमार और बुल्लू कुमार की मौजूदगी में ये आगामी रिलीज़ मंत्रालय के जमीनी स्तर पर प्रभावशाली बदलाव लाने के मिशन को आगे बढ़ाएगी। साल भर चलने वाला सशक्त पंचायत नेत्री अभियान  देश भर में पंचायती राज संस्थाओं की महिला निर्वाचित प्रतिनिधियों की क्षमता और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए बनाया गया है। यह पंचायती राज पदों पर चुनी गई महिलाओं के कौशल और आत्मविश्वास के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि वे अपने संवैधानिक अधिकारों और जिम्मेदारियों का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें।

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 https://youtu.be/GVxadWl5Cjk?si=B8A652NLbt1odCo6