हर साल मार्च माह के तीसरे शुक्रवार को विश्व नींद दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष यानी 2025 में विश्व नींद दिवस 14 मार्च को मनाया गया। इस वर्ष विश्व नींद दिवस की विषय वस्तु थी "नींद को सेहत की प्राथमिकता बनाएं" । विश्व की एक बड़ी आबादी नींद न आने की समस्या से जूझ रही है। इससे स्वास्थ्य सम्बंधी अनेक समस्या भी उत्पन्न हो रही है। नींद न आने के कारण और निवारण पर आधारित यह आलेख अनिंद्रा से पीड़ित लोगों के लिये उपयोगी हो सकता है।  

 

विश्व नींद दिवस........

पर्याप्त नींद के बिना जीवन !

     नींद हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है, और यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है। मानव शरीर और मस्तिष्क को सही तरीके से काम करने के लिए नींद की आवश्यकता होती है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए कम से कम 6 से 7 घंटे की गहरी नींद आना जरूरी होता है l जब हम पर्याप्त नींद नहीं लेते हैँ  यह हमारे जीवन के हर पहलू जैसे कि शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति, ध्यान, याददाश्त और सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है।

     नींद का सबसे पहला प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर होता है। जब हम सोते हैं, तो हमारे शरीर को आराम मिलता है और शरीर की कोशिकाओं को पुनः निर्माण का समय मिलता है। शरीर की मरम्मत, ऊर्जा का पुनः निर्माण और अंगों का सही तरीके से काम करने के लिए नींद जरूरी है। नींद के दौरान शरीर में मांसपेशियों की मरम्मत और वृद्धि होती है। इससे हमें शारीरिक ताकत मिलती है और हम अगले दिन के कार्यों के लिए तैयार रहते हैं।

   पर्याप्त नींद लेने से हृदय पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। जब हम सोते हैं, तो हमारा रक्तचाप और हृदय की गति कम हो जाती है, जिससे हृदय को आराम मिलता है और दिल के दौरे का खतरा कम होता है।

        नींद का प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी सीधा असर पड़ता है। नींद के दौरान शरीर में कुछ हार्मोन का उत्पादन होता है जो हमारी प्रतिरक्षा को मजबूत करता है और बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। पर्याप्त नींद के बिना हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे हमें बीमारियों का अधिक खतरा रहता है।

       नींद का मस्तिष्क पर भी गहरा असर होता है। यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है। मानसिक स्थिति, ध्यान और भावनात्मक संतुलन नींद से सीधे प्रभावित होते हैं।

        नींद के दौरान मस्तिष्क नए ज्ञान और जानकारी को संग्रहित करता है। जब हम सोते हैं, तो मस्तिष्क दिनभर की घटनाओं और सूचनाओं को संग्रहित और संरक्षित करता है। इस प्रक्रिया को "कंसोलिडेशन" कहा जाता है, और यह हमारी याददाश्त को मजबूत करता है। पर्याप्त नींद लेने से हमारी सीखने की क्षमता भी बढ़ती है।

     अगर हम पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं  आमतौर पर चिड़चिड़ापन, अवसाद और चिंता जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। मानसिक स्वास्थ्य के लिए नींद अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि नींद के दौरान मस्तिष्क अपनी भावनाओं को नियंत्रित करता है और तनाव को कम करता है। जब हम नींद पूरी नहीं लेते, तो हमारा ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। हम थकान महसूस करते हैं, हमारी प्रतिक्रिया क्षमता धीमी हो जाती है और निर्णय लेने की क्षमता पर असर पड़ता है। इससे कार्यों में गलती होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर हम पर्याप्त नींद नहीं लेते, तो हमारा मनोबल भी कमजोर हो जाता है। हम किसी भी कार्य को करने के लिए उत्साहित महसूस नहीं करते और जल्दी थकान महसूस होती है। इसके परिणामस्वरूप कार्यों को टालना शुरू कर देते हैं। इससे जीवन में निराशा की भावना आ सकती है।

         नींद की कमी से हमारे भावनात्मक संतुलन में भी बदलाव आता है। हम छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगते हैं और दूसरों के प्रति असहनशीलता दिखाते हैं। नींद का असर हमारे रिश्तों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि यदि हम भावनात्मक रूप से असंतुलित होते हैं, तो हम अपने प्रियजनों के साथ बेहतर संबंध नहीं बना पाते।

    नींद की कमी के दीर्घकालिक प्रभाव भी होते हैं जो हमारी सेहत पर गंभीर असर डाल सकते हैं। लगातार नींद की कमी से शरीर में इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता कम हो सकती है, जिससे मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही, नींद की कमी से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जो भूख को बढ़ाता है और मोटापे का कारण बनता है।

      नींद की कमी हृदय रोगों के खतरे को भी बढ़ाती है। जब हम पर्याप्त नींद नहीं लेते, तो रक्तचाप और तनाव स्तर बढ़ सकते हैं, जो हृदय रोगों को जन्म दे सकते हैं।  नींद की कमी से मानसिक विकारों का खतरा भी बढ़ सकता है, जैसे कि अल्जाइमर और डिमेंशिया। नींद के दौरान मस्तिष्क की सफाई प्रक्रिया होती है, जो दिमाग को स्वस्थ रखने में मदद करती है। पर्याप्त नींद न लेने से मस्तिष्क में हानिकारक प्रोटीन का निर्माण हो सकता है, जो मानसिक समस्याओं का कारण बन सकता है।

      किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए मानसिक और शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती है। पर्याप्त नींद लेने से हम दिनभर ऊर्जावान रहते हैं, जिससे हमारी उत्पादकता में वृद्धि होती है। यदि हम नींद की कमी से जूझ रहे होते हैं, तो हम कार्यों को समय पर और सही तरीके से पूरा नहीं कर पाते। इससे कार्यक्षमता और उत्पादकता दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

     इसलिये अच्छी नींद आने के लिए कुछ प्रभावी उपायों को अपनाना जरूरी है। अक्सर हम जीवनशैली की आदतों और पर्यावरण के कारण अच्छी नींद से वंचित रहते हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दे रहे हैं, जिनसे आप अपनी नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।

1. नींद का नियमित समय तय करें

अपने सोने और जागने का समय नियमित रखें। हर दिन एक ही समय पर सोना और उठना आपकी जैविक घड़ी (biological clock) को संतुलित रखता है, जिससे नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है। सप्ताहांत में भी अपनी नींद का समय बदलने से बचें, ताकि आपकी नींद की आदतों में कोई असंतुलन न आए।

2. सोने से पहले कुछ आरामदायक गतिविधियां करें

सोने से पहले किसी शांतिपूर्ण और आरामदायक गतिविधि को अपनाना मददगार हो सकता है, जैसे:

  • हल्का पढ़ाई करना (नैतिक, हल्का साहित्य)
  • ध्यान या योगा करना
  • गहरी सांस लेना (deep breathing)
  • हल्का संगीत सुनना

इनसे शरीर और मस्तिष्क को आराम मिलता है और नींद आने में मदद मिलती है।

3. संतुलित आहार लें

आपका आहार भी आपकी नींद पर असर डाल सकता है। कुछ आहारों से नींद में सुधार हो सकता है, जबकि कुछ से नींद में विघ्न आ सकता है। उदाहरण के लिए:

  • कैफीन और निकोटीन से बचें: कैफीन (चाय, कॉफी) और निकोटीन (स्मोकिंग) से नींद में खलल पड़ सकता है। इन पदार्थों का सेवन न करें। यदि इनका सेवन करते हैं तो शाम के बाद तो कतई न करें।
  • भारी भोजन से बचें: सोने से पहले भारी या मसालेदार भोजन से बचें। इनसे पाचन क्रिया पर दबाव पड़ता है और नींद में समस्या हो सकती है।
  • हलका स्नैक: सोने से पहले अगर भूख महसूस हो तो हलका स्नैक जैसे कि एक गिलास गर्म दूध या कुछ नट्स खा सकते हैं, जो नींद में मदद करते हैं।

4. सोने का सही वातावरण बनाएं

आपका सोने का वातावरण भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। नींद के लिए उपयुक्त वातावरण निम्नलिखित पहलुओं से जुड़ा होता है:

  • अंधेरा: सोने के कमरे में अंधेरा हो, जिससे शरीर में मेलाटोनिन (नींद हार्मोन) का उत्पादन बढ़े।
  • ठंडा तापमान: कमरे का तापमान बहुत गर्म या ठंडा न हो। आदर्श रूप से, 18-22 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे अच्छा होता है।
  • साफ और आरामदायक बिस्तर: एक अच्छा गद्दा और तकिया, जो आपके शरीर के अनुसार आरामदायक हो, नींद में सुधार कर सकता है।

5. स्क्रीन टाइम कम करें

सोने से पहले मोबाइल, लैपटॉप, या टीवी स्क्रीन पर अधिक समय बिताना नींद को प्रभावित कर सकता है। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी (blue light) मेलाटोनिन उत्पादन को कम करती है, जिससे नींद में कठिनाई होती है। कोशिश करें कि सोने से कम से कम एक घंटा पहले इन उपकरणों से दूर रहें।

6. व्यायाम करें

नियमित शारीरिक गतिविधि और व्यायाम नींद में सुधार कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि बहुत देर से व्यायाम न करें, क्योंकि इससे शरीर में उत्तेजना बढ़ सकती है और नींद में रुकावट आ सकती है। सुबह या शाम के समय हल्का व्यायाम बेहतर होता है।

7. तनाव और चिंता से बचें

अगर आपको रात को सोने में परेशानी हो रही है, तो मानसिक शांति और तनावमुक्त होने के लिए कुछ उपाय अपनाएं। आप ध्यान, गहरी सांस लेने की तकनीक या सकारात्मक सोच को अपनाकर तनाव को कम कर सकते हैं। तनाव और चिंता से नींद में रुकावट आ सकती है, इसलिए मानसिक स्थिति को शांत रखना बहुत जरूरी है।

8. कैफीन और शराब से बचें

कैफीन और शराब का सेवन नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। कैफीन ताजगी का एहसास कराता है, लेकिन यह नींद को देर से लाने या कम समय तक लाने का कारण बन सकता है। शराब भी नींद को जल्दी लाती है, लेकिन यह गहरी और आरामदायक नींद को प्रभावित करती है।

9. नींद को प्राथमिकता दें

अगर आप अपनी नींद को प्राथमिकता देंगे, तो आपको इसका महत्व समझ में आएगा। अपनी नींद को नज़रअंदाज़ करना स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जैसे मानसिक थकान, शारीरिक कमजोरी और तनाव। अपने शरीर को नींद के लिए पर्याप्त समय देना जरूरी है, ताकि आप अगले दिन बेहतर महसूस करें।

10. सोने से पहले किसी हल्की चीज के बारे में सोचें

आप अगर सोने से पहले खुश और शांतिपूर्ण विचारों में खो जाएं, तो आपको बेहतर नींद आ सकती है। आप अपने अच्छे पलों, यादों या भविष्य की खुशियों के बारे में सोच सकते हैं। इससे मानसिक शांति मिलती है और आपको आसानी से सोने में मदद मिलती है।

11. विश्राम करने की आदत डालें

सोने से पहले अपने शरीर और मस्तिष्क को आराम देना बहुत जरूरी है। आप सोने से पहले कुछ मिनटों के लिए विश्राम और आराम की आदत डाल सकते हैं, जैसे कि आराम से बिस्तर पर लेटकर आंखें बंद करना और मानसिक रूप से शांति पाने की कोशिश करना।

  अच्छी और पर्याप्त नींद के लिए आपको अपनी आदतों और वातावरण पर ध्यान देना होगा। नियमित नींद, सही आहार, तनावमुक्त जीवन और आरामदायक सोने का वातावरण इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए  अपनी नींद की गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं। स्वस्थ जीवन के लिए यह जरूरी है कि आप नींद को अपने जीवन में प्राथमिकता दें और उसे पूरी तरह से अपनाएं। (साभार)  

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