प्रयागराज महाकुम्भ.......... आस्था का सैलाब और प्रयागराज की मेजबानी का अद्भुत संगम .......................... आलेख..... रंजन श्रीवास्तव

तीर्थराज प्रयागराज में चल रहे इस सदी के सबसे बड़े आध्यात्मिक और धार्मिक समागम में अब तक 52 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगा ली है। यानी करीब देश - विदेश के आधे सनातनी पवित्र नदी और संगम में डुबकी लगा चुके हैँ। महाकुंभ को समाप्त होने में अभी 9 दिन शेष हैँ और उम्मीद है कि आंकड़ा 65 करोड़ को जरूर छुएगा। महाकुम्भ की शुरूआत में तथाकथित यूट्यूबरों ने ग्लेमर परोसा जिससे महाकुम्भ को लेकर लोगों में तरह - तरह की बातों का भ्रमजाल फैलाया गया लेकिन बहुत जल्दी ही यह बुरा दौर समाप्त हो गया और समूचे देश में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा । मौनी अमावस्या को दुखद भगदड़ के बाद भी श्रद्दालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं आई और अब प्रयागराज महाकुम्भ आध्यात्मिक और धार्मिक समागम का इतिहास रचने जा रहा है। भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार श्री रंजन श्रीवास्तव का महाकुम्भ पर लिखा रिपोर्ताज़ आप जरूर पसंद करेंगे....
प्रयागराज महाकुम्भ..........
आस्था का सैलाब और प्रयागराज की
मेजबानी का अद्भुत संगम
- रंजन श्रीवास्तव
मोनालिसा, आईआईटियन बाबा और साध्वी के कैमिया रोल में दिखी एक मॉडल महाकुम्भ के परिदृश्य से ही नहीं बल्कि समाचारों से भी गायब हैं। सनसनीखेज हेडलाइंस की खोज में लगे टीवी चैनल्स वाले भी ऐसे किसी किरदार की तलाश में नहीं दिख रहे हैं जो उनकी टीआरपी के लिए फ़ास्ट फ़ूड का काम करे। रील बनाने वाले भी किसी बाबा का इंटरव्यू करने तथा उनसे चिमटी की मार खाने के बजाय कुछ गंभीर काम करने में लग गए हैं। कारण है... प्रयागराज शहर की सड़कों और महाकुम्भ मेला क्षेत्र में आस्था का सैलाब खासकर वसंत पंचमी के स्नान के बाद भी प्रयागराज वासियों के लिए भी अप्रत्याशित और आश्चर्यजनक है । सड़कें ही नहीं, गलियों तक में श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति है। बताने की जरूरत नहीं है कि ट्रैफिक जाम की स्थिति क्या है ? दो तीन दिनों पूर्व ट्रैफिक जाम ने मध्य प्रदेश सरकार तक को चिंता में डाल दिया था। बहुत से गाड़ियों को वापस लौटाना पड़ा। ट्रैफिक जाम प्रयागराज से लगभग 130 किलोमीटर दूर रीवा ही नहीं बल्कि उसके आगे जबलपुर रोड पर भी देखा गया। लोग 18-20 घंटे तक सड़कों पर अपनी गाड़ियों में फंसे रहे। फिर भी चेहरे पर चिंता या दुःख का कोई भाव नहीं बल्कि उल्टा महाकुम्भ में जाकर वहां पर पवित्र डुबकी लगाने की ख़ुशी।
03 फरवरी को बसंत पंचमी के अवसर पर अखाड़ों के अंतिम शाही स्नान के बाद प्रयागराज शहर के निवासियों को आशा थी कि जनजीवन सामान्य हो जायेगा। किसी भी शहर में अगर वहां की आबादी से कई गुना लोग बाहर से लगातार आते रहें और वो भी सिर्फ एक दो दिन नहीं बल्कि लगातार डेढ़ महीने तक तो शहर के लोगों की परेशानी को समझा जा सकता है चाहे वह ट्रैफिक जाम की समस्या हो, सड़क पर ट्रैफिक पर बंदिशों की या स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी या ऑफिस जाने में समस्या, खाने पीने की चीज़ों की उपलब्धता की समस्या या मंहगाई, बेहद बढ़ा हुआ स्थानीय परिवहन का किराया अन्य कुछ और । अमूमन कुम्भ के समय भी मौनी अमावस्या का स्नान मेला का शिखर स्नान माना जाता है तथा शहर के लोग यह मानते हैं कि अब मेला में बाहर के लोग कम आएंगे और प्रयागराज और आसपास के जिलों के लोग ज्यादा रहेंगे। पर 6 और 13 फ़रवरी को आस्था का एक और सैलाब प्रयागराज की सड़कों पर दिखा। चूँकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का कुम्भ मेला में आने का कार्यक्रम 5 फ़रवरी को था इसलिए यह आशा थी कि प्रधान मंत्री के लिए पुलिस के अतिरिक्त बंदोबस्त तथा ट्रैफिक पर अतिरिक्त बंदिश की वजह से 4 और 5 फ़रवरी को कम लोग कुम्भ मेला आएंगे पर 6 फरवरी को इतनी भीड़ हो जाएगी यह किसी ने सोचा नहीं था। पर यह सिर्फ एक शुरुआत थी। उसके बाद भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में लगातार आते रहे हैँ और अभी तक सरकारी आंकड़ो के मुताबिक 52 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगा चुके हैँ. । इनमे से बहुत से लोग सड़क मार्ग से आ रहे थे। दक्षिण भारत के राज्यों की बहुत सी गाड़ियां सड़कों पर देखी गयीं।
प्रयागराज के वरिष्ठ समाजसेवी महेश प्रताप सिंह का मानना है कि श्रद्धालुओं के सैलाब के पीछे सबसे बड़ा कारण है इस महाकुम्भ के आयोजन का संयोग 144 वर्षों के बाद होना जैसा कि शुरू से ही प्रदेश सरकार ने लोगों को बताया। पर इस बात कर श्रेय प्रयागराज के लोगों को भी जाता है कि परेशानी के बावजूद अगर प्रयागराज के लोग सड़कों पर आये तो श्रद्धालुओं की सेवा करने और उनकी परेशानियों को दूर करने के लिए। भगदड़ के दिन भी और बाद में भी मस्जिदों तक ने अपने दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए खोलकर तथा उनके लिए भोजन और रहने का प्रबंध करके प्रयागराज की गंगा जमुनी तहजीब का अद्भुत मिसाल दिखाई जिसकी पूरे देश में चर्चा हुई। सोहबतियाबाग, कीडगंज, अलोपीबाग, रामबाग, लीडर रोड, चौक, लोकनाथ, कोतवाली, अतरसुइया, करेली, रेलवे स्टेशन, सिविल लाइन्स तथा अन्य बहुत से क्षेत्रों में स्थानीय दुकानदार तथा विभिन्न समितियों ने श्रद्धालुओं के लिए रहने और खाने का प्रबंध किया। फेसबुक पर अंकुर हॉस्पिटल, बमरौली के डॉ राजीव श्रीवास्तव, उनकी पत्नी डॉ अरुणिमा और पूरा परिवार तथा कर्मचारी श्रद्धालुओं के बीच नाश्ता बांटते दिखे। गुलशन अरोरा तथा उन जैसे कई लोगों ने श्रद्धालुओं को अपने दोपहिया वाहनों पर रेलवे स्टेशन से मेला क्षेत्र निःशुल्क ले जाने जैसे सेवा का व्रत लिया हुआ था। बच्चों के लिए दूध कर प्रबंध करते भी लोग दिखे। ओल्ड सिटी निवासी प्रयागराज के व्यवसायी रविंद्र कुमार नायर जो राना नायर के नाम से जाने जाते हैं तथा प्रसिद्ध टीवी एक्टर मुदित नायर के पिता हैं, कहते हैं कि सेवा का भाव प्रयागराज के संस्कृति का अभिन्न अंग है। अगर प्रयागराज को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है तो इसमें गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती जैसे पवित्र नदियों तथा इनके संगम के अतिरिक्त सदियों से यहाँ के निवासियों के धार्मिक और पवित्र सेवा भाव का भी उतना ही योगदान है।
***************************
श्री रंजन श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार