शराब की सवारी वर्जना या वरदान

•        डा. अनिल भदोरिया

भारतीय समाज में शराब पीना तो दूर, शराब पर बात करना भी सामाजिक बुराई माना जाता है यदा-कदा यह बात कही जाती है कि वैज्ञानिक स्तर पर शराब पीने के लाभ भी हैं जो हृदय रोग से बचाने में कारगर हैं तभी कहा जाता है, दवा- दारू तात्पर्य यह है कि दारू को दवा के रूप में सेवन करें और दवा सदा नहीं खाई या पी जाती है  हो सकता है कि यह सत्य हो परंतु शराब की उपस्थिति निश्चित ही शरीर में अनेक रोगों का कारण बनती है अभी ध्यान रखने योग्य बात ये है कि शराब के सेवन से प्राप्त आनंद की आड़ में सोशल ड्रिंकिंग या मूड रिलैक्स ड्रिंक या भोजन पाचन हेतु आवश्यक और सेक्स हेतु मूड उत्तेजक जैसे टाइटल भी इस मायावी सोमरस या शराब को प्राप्त है सच्चाई क्या है, क्या नहीं, परंतु शराब का अर्थव्यवस्था में बड़ा विचित्र स्थान है जो सरकार के लिए तो लाभदायक होता है परंतु गरीबों के लिए हानिकारक ही होता है और अब तो शराब का सेवन प्रतिष्ठा का मापक द्रव्य बन गया है। समाज में स्त्रियों व वयस्क होते बच्चों में भी शराब का प्रचलन यदा-कदा देखा जा रहा है जिससे पारिवारिक और सामाजिक स्थिति भी प्रभावित हो रही है

प्रश्न यह है कि शराब का असली रुप क्या है?

क्या यह जहर ही है ?

क्या इसे हटाने की जरूरत भी है?

 क्या यह संरक्षक अर्थात प्रिजर्वेटिव भी है?

 क्या यह कम खुराक में जादू करती है ?

 

...और यह सब समझने की अनिवार्यता है। जब शराब के सेवन से शरीर में उत्पन्न दुष्प्रभावों से भारत में प्रतिदिन 15 व्यक्तियों की मौत हो जाती है यानी लगभग 100 मिनट में एक व्यक्ति की मौत शराब का सेवन करने से होती है!

शराब के संभावित लाभदायक प्रभाव का उल्लेख यहां विशेष रूप से सीमित शब्दों में प्रयोग करना अनिवार्य है शराब का संतुलित सेवन संभावित लाभदायक प्रभाव दिखा सकती है सीमित मात्रा प्रत्येक व्यक्ति के लिए भिन्न हो सकती है किंतु इसका यह तात्पर्य कतई नहीं है कि शराब के लाभदायक और हानिकारक प्रभाव पढ़कर कभी न पीने वाले सुधिजन भी इसका सेवन आरंभ कर दें लेखक की स्पष्ट रूप से चेतावनी है कि शराब स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होती है. शराब सेवन के पक्षकारों में दैनिक शराब सेवन तथा सामाजिक शराब सेवन ज्ञानी सोशल रैंकिंग में अंतर समझना अनिवार्य होगा शराब के सेवन का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसके सेवन की लत लग जाने से आपका सोशल रैंकिंग कब रोज की लत बन जाता है, यह पता नहीं चलता है। सामाजिक कार्यक्रमों में संग साथ हेतु शराब सेवन में साथ देना शुरू किया, जो एक से दो पैग अर्थात कुल 120 मिलीलीटर तक सीमित हो सकती है। इसकी आवृत्ति माह में एक बार की दर से साल भर में 10 से 12 बार हो सकती है। इसके प्रभाव या लाभ या हानि से परे हैं क्योंकि आपके लिए यह सोशल ड्रिंकिंग दाग की भांति दाग अच्छे हैं या सोशल ड्रिंकिंग अनिवार्य पार्टी बाजी में बदल जाए और साप्ताहिक रूप से कम समय में एक या दो या अधिक बार उद्धृत किया जाने लगे तो यह आपके शराब सेवन की लत में बदलने की तैयारी है। जब शराब की बोतल घर में रखते हैं और भोजन करने से पहले प्रतिदिन इसका सेवन आपको अच्छा लगे तो समझिये आप शराब  के आदी हो चुके हैं जो निश्चित रूप से हानिकारक है। हालांकि दैनिक पीने वाले भी अपने उत्तम स्वास्थ्य का दावा करते पाए जाते हैं इसीलिए शराब स्वास्थ्यवर्धक या हानिकारक है, वे धर्म के मूल से व्यक्ति परखकर अपना भिन्न-भिन्न प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। संभावित फायदे हृदय की बीमारियों से संबंधित हो तो वहीं सीमित मात्रा में लाभदायक हो सकता है जो अच्छे कोलेस्ट्रॉल एचडीएल को बढ़ाने में सहायक है। डायबिटीज के रोगियों के शरीर में थक्के बनने की संभावना भी शराब के सेवन से कम हो सकती है। याद रहे शराब का सेवनधारी दोमुहीं तलवार है। कम मात्रा लाभकारी और शराब की अधिक मात्रा हानिकारक है संभावित है कि शराब को कामोद्दीपक समझा जाता है। शराब जैसे द्रव्य यौनेच्छा में बढ़ोतरी करते हैं जबकि व्यक्ति की क्षमता में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है बल्कि उत्तेजना में सफल नहीं रहने के वैज्ञानिक आधार हैं। सर्दी जुकाम में राहत शराब का शरीर में नसों को फैलाने का प्रभाव है जो वेसोडाइलेटेशन कहलाया जाता है। सीमित मात्रा से शराब की शक्तियों का प्रभाव बढ़ जाता है और ऐसी स्थिति में सर्दी खांसी में भी कमी दर्ज की जाती है। मानसिक तनाव में कमी आधुनिक काल की जीवन शैली में तनाव का विशेष स्थान है और तनाव से मुक्त होने का आसान मार्ग है वाहिनियों के व्यास में अंतर पैदा करने के कारण मस्तिष्क की नसों में रक्त प्रवाह बढ़ता है और मूड एलिवेटर हार्मोन स्रावित होते हैं। न्यूरो साइकेट्रिक की संभावना में कमी दर्ज की गई है। स्वस्थ वयस्क के पित्ताशय में पथरी, किडनी में पथरी की बीमारी के कम होने के भी अध्ययन है। पर आपको सबसे बड़ा नुकसान है, इसके नशे की लत लगना और जिस कारण आर्थिक नुकसान के साथ-साथ सामाजिक प्रतिष्ठा भी प्रभावित होती है। प्रत्येक पदार्थ का या औषधि का पाचन लीवर ग्रंथि में होता है और शराब का सबसे अधिक दुष्प्रभाव लीवर पर ही पड़ता है। लीवर के खराब हो जाने के ही प्रमाण उपलब्ध हैं जो सीधे-सीधे शराब के कारण होते हैं

शराब के दुष्प्रभाव-

हिंसक प्रवृत्ति विकसित होती है।

वाहन चलाने में निर्णय गलत होते हैं तो एक्सीडेंट होने की सम्भावना बनी रहती है।

नींद पर्याप्त नहीं होती है और मस्तिष्क का सचेत कार्य करने का भाव बंद हो जाता है

स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है और आर्थिक हानि होती है जो दैनिक आधार पर परिवार को नष्ट कर देती है।

 

शराब बुराई है। तनाव मुक्ति या रिलैक्स होने का बहाना हो सकती है किंतु विनाशक शरीर पर दो धारी तलवार की तरह प्रभाव करती है क्योंकि शराब सेवन से मस्ती का भाव आता है। अच्छा लगता है तो यह सीमित मात्रा कब, लत में परिवर्तित हो जाती है, पता ही नहीं चलता है। अतः मस्तिष्क के बेहतर नियंत्रण के साथ शराब की सवारी कर सकते हैं ताकि आप अपने ऊपर शराब को सवारी ना करने दें

**************************** 

डा. अनिल भदौरिया एम.बी.बी.एस. (एम.जी.एम. मेडिकल कॉलेज, इंदौर ), एम.पी. टी. (स्पोर्ट्स), एम.बी.ए. सहायक संचालक, कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएँ, श्रम विभाग, मध्य प्रदेश शासन में सेवारत है तथा मुख्यालय इंदौर में पदस्थ हैं 

डॉ भदौरिया की सेक्स एजुकेशन (पीकॉक पब्लिकेशन, नई दिल्ली) से पुसतक प्रकाशित हो चुकी है वे नई दुनिया, दैनिक भास्कर, अहा दुनिया, पत्रिका, जीमा (कलकत्ता) में अपने स्वास्थ्यपरक, यात्रा वृतांत, कविताओं व व्यंग्य आधारित आलेखों से प्रकाशित होते रहे हैं इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन की इंदौर शाखा के अध्यक्ष भी रहे हैं तथा राष्ट्रीय स्तर पर भी विभिन्न पदों पर कार्य करते रहे हैं

 

.