भारतीय नौसेना का गौरव “निस्तार”

 

      विशाखापत्तनम। भारतीय नौसेना के लिये आज 9 जुलाई यादगार दिन बन गया है। नौसेना विश्व की उन गिने – चुने देशों की नौसेनाओं में शामिल हो गई है जिनके पास गहरे समुद्र में गोताखोरी तथा बचाव अभियान चलाने के लिए युद्धपोत हैं  दरअसल आज हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने भारत में निर्मित पहले स्वदेशी  डाइविंग सपोर्ट वेसल निस्तार  को विशाखापत्तनम में  भारतीय नौसेना को सौंपा है। इस युद्धपोत को भारतीय नौवहन के अनुसार डिज़ाइन और निर्मित किया गया है। यह जहाज अत्याधुनिक उपकरणों और सुविधाओं से सुसज्जित है तथा  गहरे समुद्र में गोताखोरी तथा बचाव अभियान चला सकता है। उल्‍लेखनीय है कि यह क्षमता दुनिया भर की कुछेक नौसेनाओं के पास ही है।

    गहरे समुद्र में गोताखोरी तथा बचाव अभियान चलाने के लिए स्वदेश में निर्मित युद्धपोत का नाम निस्तार  संस्कृत से लिया गया है जिसका अर्थ होता है मुक्ति, बचाव या मोक्ष

      118 मीटर लंबे और लगभग 10,000 टन  वजन वाले  इस युद्धपोत  में अत्याधुनिक गोताखोरी उपकरण लगे हैं और यह 300 मीटर की गहराई तक गहरे समुद्र में गोताखोरी करने में सक्षम है। जहाज में 75 मीटर की गहराई तक गोताखोरी करने के लिए एक साइड डाइविंग स्टेज भी बनाया गया है।

      निस्तार युद्धपोत गहरे जलमग्न बचाव पोत (डीएसआरवी) के लिए 'मदर शिप'  के रूप में भी काम करेगा ताकि पानी के नीचे किसी पनडुब्बी में आपात स्थिति में कर्मचारियों को बचाया और निकाला जा सके। यह जहाज 1000 मीटर की गहराई तक गोताखोर निगरानी और बचाव कार्यों को अंजाम देने के लिए दूर से संचालित वाहनों के संयोजन से सुसज्जित है।

     लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ निस्तार  की सुपुर्दगी, स्वदेशी निर्माण के लिए भारतीय नौसेना के लिए एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है ।