आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

 

 

नज़र और नज़रिया

दृष्टि यानी देखने की शक्ति।

यह हमारी शारीरिक क्षमता है 

और इसकी जांच और 

सुधार के उपाय डॉक्टर 

के द्वारा किए जा सकते हैं। 

किंतु दृष्टिकोण हमारी सोच 

और समझ पर आधारित 

होता है जिसका आकलन 

हमारे आचरण और व्यवहार 

से ही किया जा सकता है।

 

दृष्टिकोण 

व्यक्ति, वस्तु एवं परिस्थितियों 

के प्रति हमारा दृष्टिकोण 

हमारे अनुभव, रुचि, समझ 

इत्यादि के अनुसार 

निर्मित होता जाता है और 

कालांतर में एक निश्चितता 

को प्राप्त कर लेता है।

 

बदलाव

दृष्टि बदल लो सृष्टि बदल जाएगी 

जब हम व्यक्ति, वस्तु और 

परिस्थितियों को एक अलग 

सोच और समझ के साथ 

देखते हैं तो हमारा दृष्टिकोण 

भी बदल जाता है 

इसमें सुधार हो जाता है।

 

संकीर्णता

जीवन में उतार-चढ़ाव 

आते ही रहते हैं। 

हम निरंतर अच्छे और खराब 

अनुभवों से गुजरते हैं

किंतु केवल खराब अनुभवों 

के कारण हमारा दृष्टिकोण 

संकुचित और संकीर्ण हो जाए 

यह कतई उचित नहीं होता है।

हर एक विकल्प और संभावनाओं

को विचार करके ही हम 

इसमें विस्तार अवश्य दे सकते हैं 

और यही उचित होता है 

और यही अभीष्ट होता है।

 

सफलता 

जीवन में सफलता, समृद्धि

सुख और संतोष के लिए 

आवश्यक है कि हमारा 

दृष्टिकोण सकारात्मक हो 

प्रगतिशील, रचनात्मक हो 

सहयोगात्मक हो।

 

आईए देखते हैं कि हम 

अपने दृष्टिकोण को

विस्तारित करने के लिए

कितने उद्यमी हैं

कितने प्रयत्नशील है?

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों का सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं