योग से गठिया रोग का निदान

यदि कोई व्यक्ति गठिया (रूमेटाइड अर्थराइटिस-आरए) रोग से पीड़ित हो जाये तो यह धारणा है कि पीड़ित व्यक्ति के जोड़ों में दर्द और सूजन से राहत पाने के लिये दर्द व सूजन निवारक गोलियों का सहारा लेना पड़ता है। असहनीय स्थिति होने पर शल्य  चिकित्सा भी करवानी पड़ सकती है लेकिन इससे भी पूरी तरह ठीक नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज को हमेशा दवाईयों का सेवन करना पड़ सकता है। लेकिन योग से अब गठिया के मरीजों को दर्द, सूजन और असहनीय पीड़ा से मुक्ति मिल सकती है। भारत की प्राचीन चिकित्सा विधा योग पर भरोसा जताते हुये देश के सबसे विश्वसनीय चिकित्सा संस्थानों  में अग्रणी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)नई दिल्ली के एक नए अध्ययन से पता चला है कि योगाभ्यास से गठिया के रोगियों के स्वास्थ्य में काफी सुधार आ रहा है। हरिद्वार स्थित पतंजली के संस्थापक स्वामी रामदेव भी इस बात का दावा करते हैं कि गठिया रोग का योग, प्राणायाम और आयुर्वेद से स्थीयी ईलाज सम्भव है।

गठिया (आरए)  एक पुरानी ऑटोइम्यून बीमारी है जो जोड़ों में सूजन का कारण बनती है। यह जोड़ों को नुकसान पहुंचाती है और इस रोग में दर्द होता है। इसके कारण फेफड़ेहृदय और मस्तिष्क जैसे अन्य अंग प्रणालियां भी प्रभावित हो सकती हैं। परंपरागत रूप सेयोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)नई दिल्ली के समर्थितमोलेक्यूलर री-प्रोडक्शन एंड जेनेटिक्स प्रयोगशालाएनाटॉमी विभाग और रुमेटोलॉजी विभाग द्वारा किये गये एक अध्ययन ने गठिया के रोगियों में सेलुलर और मोलेक्यूलर स्तर पर योग के प्रभावों की खोज की है। इससे पता चला है कि गठिया के रोगियों की पीड़ा को योग से राहत मिलती है ।अध्ययन से यह भी पता चला है कि योग सेलुलर क्षति और ऑक्सीडेटिव तनाव (ओएस) को नियंत्रित करके सूजन को कम करता है। यह प्रो- और एंटी-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स को संतुलित करता हैएंडोर्फिन के स्तर को बढ़ाता हैकोर्टिसोल और सीआरपी के स्तर को कम करता है तथा मेलाटोनिन के स्तर को बनाए रखता है। इसके जरिये सूजन और अतिसक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली चक्र का विघटन रुक जाता है।

मोलेक्यूलर स्तर परटेलोमेरेज़ एंजाइम और डीएनए में सुधार तथा कोशिका चक्र विनियमन में शामिल जीन की गतिविधि को बढ़ाकरयह कोशिकाओं की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। इसके अतिरिक्तयोग माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन को बेहतर बनाता हैजो ऊर्जा चयापचय को बढ़ाकर और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करके टेलोमेर एट्रिशन व डीएनए क्षति से बचाता है।

एम्स की डॉ. रीमा दादा और उनकी टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन में दर्द में कमीजोड़ों की गतिशीलता में सुधारचलने-फिरने की कठिनाई में कमी और योग करने वाले रोगियों के लिए जीवन की समग्र गुणवत्ता में वृद्धि दर्ज की गई। ये समस्त लाभ योग की प्रतिरक्षात्मक सहनशीलता और मोलेक्यूलर रेमिशन स्थापित करने की क्षमता में निहित हैं।

 

साइंटिफिक रिपोर्ट्स2023 में प्रकाशित अध्ययन https://www.nature.com/articles/s41598-023-42231-w से पता चलता है कि योग तनाव को कम करने में मदद कर सकता हैजो गठिया  के लक्षणों के लिए एक ज्ञात कारण है। कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन को कम करकेयोग अप्रत्यक्ष रूप से सूजन को कम कर सकता हैमाइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन में सुधार कर सकता हैजो ऊर्जा उत्पादन और सेलुलर स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। योग न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देता है और इस प्रकार रोग निवारण रणनीतियों में सहायता करता है तथा को-मॉर्बिड डिप्रेशन की गंभीरता को कम करता है।  

इस शोध से गठिया रोगियों के लिए पूरक चिकित्सा के रूप में योग की क्षमता का प्रमाण मिलता है। योग न केवल दर्द और जकड़न जैसे लक्षणों को कम कर सकता हैबल्कि रोग नियंत्रण और जीवन की बेहतर गुणवत्ता में भी योगदान दे सकता है। दवाओं के विपरीतयोग के कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं और यह गंभीर ऑटोइम्यून स्थितियों के प्रबंधन के लिए एक सस्ता व प्रभावी तथा स्वाभाविक विकल्प प्रदान करता है।