मध्य प्रदेश में भी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की दस्तक
मध्य प्रदेश में भी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की दस्तक
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) ने मध्यप्रदेश में भी दस्तक दे दी है। मध्य प्रदेश में पिछले दिनों एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के एक मरीज में की पुष्टि हुई है. हालाकि जून 2024 की शुरुआत से ही गुजरात में 15 साल से कम आयु के बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के मामले सामने आ रहे हैं। 20 जुलाई, 2024 तक एईएस के कुल 78 मामले सामने आए हैं जिनमें गुजरात में 75 , राजस्थान में 2 और 1 मामला मध्य प्रदेश का है। इनमें से 28 मरीजों की मृत्यु हो गई है। एनआईवी पुणे में परीक्षण किए गए 76 नमूनों में से 9 में चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) के पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है। समस्त 9 सीएचपीवी-पॉजिटिव मामले और इससे जुड़ी 5 मौतें गुजरात में हुई हैं।
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) चिकित्सकीय रूप से समान न्यूरोलॉजिक अभिव्यक्तियों का एक समूह है, जो कई अलग-अलग वायरस, बैक्टीरिया, फंगस, परजीवी, स्पाइरोकेट्स, रसायन/विषाक्त पदार्थों आदि के कारण होता है। एईएस के ज्ञात वायरल कारणों में जेई, डेंगू, एचएसवी, सीएचपीवी, वेस्ट नाइल आदि शामिल हैं।
चांदीपुरा वायरस (सीएचपीवी) रैबडोविरिडे परिवार का एक सदस्य है जो देश के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी भागों में छिटपुट मामलों और प्रकोपों का कारण बनता है, खासकर मानसून के दौरान। यह सैंड फ्लाई और टिक्स जैसे रोगवाहक कीटों से फैलता है।
यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि वेक्टर जनित रोग नियंत्रण, स्वच्छता, और जागरूकता ही इस बीमारी से बचने का एकमात्र उपलब्ध उपाय है। यह बीमारी मुख्यत: 15 साल से कम उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेती है और इसके साथ ही संक्रमण की वजह से बुखार भी हो सकता है, जिससे कुछ मामलों में मौत भी हो सकती है। वैसे तो ‘सीएचपीवी’ के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है और इसका उपचार लक्षणात्मक ही होता है, लेकिन एईएस की चपेट में आए मरीजों को समय पर निर्दिष्ट स्वास्थ्य केंद्रों पर भेजने से वे इससे उबर सकते हैं।