भोपाल इन दिनों बाजारों में चीनी लहसुन के विक्रय होने की खबरें आ रही हैं चीनी और भारतीय लहसून को देखने में कोई खास अंतर नहीं है चीनी लहसून देशी लहसून से अपेक्षाकृत थोड़ी छोटी होती है लेकिन इनमें बड़े आकार की 6 से 7 कलियां ही होती हैं यह देखने में भी  अच्छी होती है सफेद और गुलाबी रंग की होने के कारण उपभोक्ताओं को आकर्षित भी करती है और सस्ती होने के कारण उपभोक्ता चीनी लहसून को खरीद लेते हैं। लेकिन उपभोक्ताओं को पता नहीं होता है कि वह देशी या चीनी लहसून खरीद रहा है इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि इस बारे में अधिकांश उपभोक्ताओं को  देशी और चीनी लहसून के बारे में जानकारी ही नहीं है

 पिछले वर्ष लहसुन के भाव जब आसमान पर चढ़ गए थे 500 रूपये प्रति  किलो ग्राम से अधिक कीमत पर उपभोक्ताओं को खुदरा बाजार में मिल रही थी।  उस समय किसानों ने लहसून के खेतों रखवाली के लिये बंदूकधारियों की सेवाएं भी ली थी। वर्तमान में खुदरा बाजार में देशी लहसून के भाव 150 से 350 रुपए प्रति किलोग्राम तक हैंइसकी तुलना में चीन से चोरी छुपे लाई जा रही लहसून 150 से 200 रूपये किलोग्राम के आसपास विभिन्न बाजारों और मंडियों में बिक रही है

लहसून भारतीय रसोई की शान मानी जाती है और इससे भोजन का जायका तो बढ़ता ही है, यह स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती है लेकिन हम जो लहसून बाजार से खरीद कर ला रहे हैं, वह देशी है या चीनी, इसकी भी जानकारी होना आवश्यक है चीनी लहसून के उत्पादन में रासायनिक खादों और दवाईयों का बहुत ज्यादा मात्रा में प्रयोग किया जाता है जिसके कारण यह स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक होती हैमीडिया रिपोर्ट में तो चीनी लहसून को जहरीली तक कहा गया है बताया जाता है कि लहसून को 6 महीने या इससे अधिक समय तक फफूंद से बचाने के लिए मिथाईल ब्रोमाइड युक्त फफूंद नाशक से उपचारित किया जाता है कीड़ों को मारने और अंकुरित होने से रोकने के लिए क्लोरीन का भी उपयोग करते हैं जिससे कलियां सफेद दिखती हैंचीनी लहसून में सिंथेटिक पदार्थ पाए जाने की भी रिपोर्ट है जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है इससे कैंसर होने का खतरा भी रहता है चीनी लहसून के सेवन से किडनी और लीवर को भी नुकसान हो सकता हैखबर तो यह भी है कि अमेरिका के सीनेटर रिक स्टार ने आरोप लगाया है कि चीनी लहसून की खेती में कच्चे सीवेज का उपयोग किया जाता है बाद में इसे क्लोरीन से ब्लीच किया जाता है जब तक   व्यापक जांच और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होने की गारंटी नहीं हो जाती तब तक चीनी लहसून को खाने से परहेज करना चाहिए

सस्ती और अच्छी दिखने के कारण उपभोक्ता चीनी लहसून खरीदने के लिये आकर्षित हो जाते हैं।  उन्हें देशी और चीनी लहसून में कोई खास फर्क नजर नहीं आता । यदि उपभोक्ताओं को देशी और चीनी लहसून के गुण दोषों के बारे में जानकारी दी जाये तो वे बाजार में लहसून खरीदने से पहले यह सुनिश्चित कर लेंगे कि वे देशी लहसून ही खरीद रहे हैं सस्ती और अच्छी दिखने के कारण उपभोक्ता चीनी लहसून खरीदने के लिये आकर्षित हो जाते हैं।  उन्हें देशी और चीनी लहसून में कोई खास फर्क नजर नहीं आता । यदि उपभोक्ताओं को देशी और चीनी लहसून के गुण दोषों के बारे में जानकारी दी जाये तो वे यह सुनिश्चित कर लेंगे कि वे देशी लहसून ही खरीद रहे हैं । (मधुकर पवार)     

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