अच्छे कार्य के लिए तन, मन और धन से करें सहयोग - भरत मोदी

 दृष्टिबाधित दिव्यांगजनों का कौशल विकास प्रशिक्षण सम्पन्न

  इंदौर, (अरूण कुमार जैन) । दुनिया में बहुत से कार्य हैं और प्रतिदिन जीवन और सार्वजनिक समाज के कार्यों में रत रहते हुए भी निस्पृह भाव से जीना और कार्य करना, भारतीय और जैन जीवन दर्शन की विशेषता है। कर्म प्रधान और धर्म प्रधान जीवन भारतीय दार्शनिक परम्परा विश्व में अनूठी है। यही कारण है कि हम विश्व में सर्वोपरि रहे और कभी समाप्त नहीं हुए। ये विचार आज यहां दृष्टिबाधित दिव्यांग जनों के लिए आयोजित  पांच दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण शिविर के अंतिम दिन समापन समारोह में सुप्रसिद्ध उद्योगपति और वरिष्ठ समाज सेवी श्री भरत मोदी जी ने व्यक्त किए। श्री मोदी ने कहा कि खाली हाथ आकर खाली हाथ जाने से पहले कुछ कर जाना ही जीवन की सार्थकता है। इसलिए जिंदगी में अच्छे रचनात्मक कार्यों जो मानव धर्म के लिए उपयोगी है, उसे करने में मुक्त हस्त से सहयोग करना चाहिए तभी मोक्ष मार्ग में आपके भाग्योदय का योग है।

     महावीर इंटरकॉन्टिनेंटल सर्विस ऑर्गेनाइजेशन (मिसो) के  अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री डॉक्टर पुष्प जी जैन पूर्व सांसद और मिसो के ने दृष्टिबाधित दिव्यांग बच्चों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि ये बच्चे सही रूप में समाज जागृति की मशाल हैं। उन्होने कहा कि आप सब दृष्टिबाधित दिव्यांग बच्चे मिलकर साथ चलने के जिस भेद को जानते हैं उसे आंख वालों को आपसे सीखने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के दौरान अतिथियों ने विभिन्न प्रतियोगियों को पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किए।

इस अवसर पर श्री हुलास जी बेताला ने अध्यक्षीय उद्बोधन दिया। राष्ट्रीय महामंत्री श्री लोकेश कावड़िया ने शिविर की महत्ता पर प्रकाश डाला। शिक्षकों की महता पीयूष जैन ने बताई तथा जितेंद्र चोपड़ा ने स्वागत भाषण दिया। प्रकाश भटेवरा ने आभार व्यक्त किया।

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