80 का करें पालन .... 80 साल तक रहें युवा 

इस दौर में जब मिलावट और पर्यावरण प्रदूषण का प्रादुर्भाव अपने उच्च  स्तर पर है, स्वस्थ रहना.....शरीर को शुद्ध रखना और विषैले तत्वों को शरीर में जमा ना होने देना भी एक कला रूपी विज्ञान है और इसे किस तरह से आसान रूप में प्राप्त किया जा सकता है यह 80 के साधारण नियम के माध्यम से 80 वर्ष की निरोगी और युवाओं जैसे जोश के साथ जीवन यापन कर सकते है80 के नियम के बारे में बहुत भ्रांतियां भी हैंआइए इस सत्य से रूबरू होने का प्रयास करते हैं

स्वस्थ शरीर के लिए 80 मिनट पैदल चलना- 

यदि सिर्फ इसी उपाय का पालन हम साल के 300 से अधिक दिनों में कर लें तो साल भर बीमार न पड़ने की संभावनाएं बेहतर हो जाएंगीपैदल चलने मात्र से शुद्ध वायु का अविरत प्रवाह फेफड़ों में हो जाता है, हृदय की गति बढ़ जाती है और फेफड़े नई स्फूर्ति से प्राण वायु को शरीर के कोने-कोने तक पहुंचा भी देते हैं प्रश्न यह उठता है कि 80 मिनट पैदल चलने का क्या नियम है .... तो आसानी से समझा जा सकता है कि 30 मिनट तक चलने से शरीर को जो ऊर्जा की नितांत आवश्यकता होती है, उसका स्त्रोत मांसपेशियों में उपस्थित एटीपी, मसल ग्लाइकोजन, रक्त में उपस्थित शक्कर और लीवर में संग्रहित ग्लुकोस से प्राप्त हो जाता है तथा 30 मिनट के बाद चलने से ही शरीर में जमा हुआ वसा ऊर्जा प्रदान करने में सहयोग देता है यानी फैट जलाने के लिए 80 मिनट तक तो चलना ही  पड़ेगा आपने देखा भी होगा क्या ओलंपिक्स में 20 किलोमीटर या 50 किलोमीटर चलने वाले एथलीट हमेशा दुबले पतले होते हैंवे आपको कभी मोटे नहीं मिलेंगे क्योंकि वे अपने शरीर में उपस्थित फैट को भी पैदल चलकर या लंबे समय तक दौड़कर / जलाकर भस्म कर देते80 मिनट तक चलने के लिए 80 कदम प्रति मिनट की गति होना आवश्यक है इस गति से मांसपेशियों और अस्थि-जोड़ों का अच्छा व्यायाम हो जाता है और हड्डियां स्ट्रेस टेस्ट के माध्यम से मजबूत बनी रहती हैं 45 की आयु के बाद आपका शरीर मेंटेनेंस मांगता है और उसके लिए 80 मिनट का पैदल चलना लाभदायक है मोटापे को कम करने के लिए भी यदि प्रतिदिन 80 से 90 मिनट सिर्फ पैदल चलने का कार्य करेंगे तो तीसरे महीने से उनके शरीर में परिवर्तन दिखने लगेंगे और शरीर एक शेप में आने लगेगा बशर्ते वे अपने भोजन को भी निरंतर नियंत्रण में रखेंयदि कोई मेटाबोलिक डिसीज या हार्मोन संबंधी रोग शरीर में उपस्थित है तो उसका नियंत्रण प्रभावी ढंग से कर लें 80 मिनट 80 कदम प्रति मिनट के हिसाब से चलने के लिए आपको मानसिक रूप से प्रारंभ के 15 दिनों का नियम बनाना और पालन करना पड़ेगाउसके बाद आपका शरीर स्वयं यह कार्य आपसे करा लेगा यदि आप मात्र 15 दिन 80 मिनट चल कर देखें तो स्वास्थ्य में सुधार और फुर्ती महसूस करेंगेएलर्जी, सर्दी-जुखाम से मुक्त रहेंगे शरीर की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी पैदल चलने के नियमित अभ्यास से मधुमेह और रक्तचाप के रोगी, अपनी बीमारी को बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकेंगे पसीना निकलने से शरीर में उपस्थित विषैले तत्वों ओर लवणों का उत्सर्जन हो जाएगा जिससे रक्त वाहिनियों का लचीलापन बढ़ जाएगा और रक्तचाप बेहतर रूप से नियंत्रण हो पाएगा 80 मिनट का पैदल  चलने से आपके शरीर में उपस्थित विषैले तत्वों से भी आपको मुक्ति मिल सकेगी जो आपके शरीर के लिए हानिकारक सिद्ध होते हैं पैदल चलना आसानतम व्यायाम है जो बिना खर्च किये सुबह या शाम, घर की छत पर या पोर्च या लॉन में सड़क या खेल के मैदान में किया जा सकता है धनी परिवार, ट्रेडमिल के द्वारा पैदल चलने को रुचिकर बनाया जा सकता हैयदि पैदल चलने में आपको परेशानी है, आपके घुटनों में दर्द होता है या चल नहीं पाते हैं या कोई अन्य तकलीफ है, तो फिर साइकिलिंग या तैरना एक सुरक्षित विकल्प है

  हृदय की गति 80 प्रति मिनट से कम होना चाहिए 

हृदय जीवन भर शरीर में रक्त की आपूर्ति का कार्य करता है जो भोजन में उपस्थित ग्लूकोस के साथ ऑक्सीजन भी शरीर की लगभग ६०० अरब प्रत्येक कोशिका तक पहुंचाता है मजबूत हृदय की निशानी है 72 स्पंदन प्रति मिनट की दर से दिल की धड़कन 80 से नीचे होने का मतलब है कि आपका हृदय मजबूत है आपको आश्चर्य होगा कि नियमित अभ्यासरत रहने वाले व्यक्ति जैसे खिलाड़ी /योग प्रशिक्षु तथा ठंडे देश के निवासियों का दिल प्रति मिनट 60 से भी कम बार धड़कता है जिससे वह लंबी उम्र पा जाते हैं यदि ह्रदय स्पंदन की दर 80 से ज्यादा है तो योग के नियमित अभ्यास से, ध्यान के नियमित अभ्यास से हृदय गति को न्यूनतम पर रखा जा सकता है

   80 का अंक है रक्तचाप 80 से कम होना - 

आप जानते हैं ह्रदय के धड़कने तथा रक्त के बहने से रक्तचाप का नियंत्रण होता है जिसमें सिस्टोलिक 120 तथा डायस्टोलिक 80 के अंक हमें प्राप्त होने चाहिए यहां डायस्टोलिक रक्तचाप का 80 का होना स्वस्थ हृदय की निशानी है जो शरीर में बहने के लिए पेरिफेरल रजिस्टेंस को इंगित करता हैशरीर में रक्त का प्रवाह एक निश्चित ब्लड प्रेशर पर पूरे शरीर में होता है हृदय के पंप करते समय जो  प्रेशर रक्त वाहिनी में प्रदर्शित होता है उसे सिस्टोलिक रक्तचाप कहते हैं जो 120 मिलीमीटर के उनके आसपास नियंत्रित होता है जबकि रक्त वाहिनियों का लचीलापन रक्तचाप के निम्नांक को प्रदर्शित निर्धारित करता है जो 80 मिलीमीटर के आस पास होता हैरक्तचाप के उच्चांक निम्नांक को निर्धारित करने वाले तत्व है ह्रदय की धड़कन की दर, चाय, कॉफी, सिगरेट, तंबाकू, शराब का नियमित सेवन, नियमित व्यायाम, मानसिक तनाव अथवा हार्मोन के स्तर में गड़बड़ी

  80 का सार्थक अंक है वसा 80 से कम हो - 

शरीर में कोलेस्ट्रॉल नामक वसा का आवश्यक स्थान है जो विभिन्न हार्मोन के निर्माण में मदद करता है बिना कोलेस्ट्रोल के हमारा जीवन संभव नहीं है कोलेस्ट्रॉल के विभिन्न प्रकार के घनत्व के आधार पर विभाजित किए जाते हैं जैसे वेरी लो डेंसिटी, लो डेंसिटी, हाई डेंसिटी, टोटल कोलेस्ट्रॉल तथा ट्राइग्लिसराइड्स. लो डेंसिटी लिपॉप्रोटीन नामक कोलेस्ट्रोल का उच्च स्तर, हृदय रोगों को जन्म देता है और कई रोगियों को तो इसे न्यूनतम पर रखने के लिए जीवन पर गोलियां भी खानी पड़ती है  इसलिए लो डेंसिटी लाइकोपिन को 80 मिलीग्राम की रेंज में होना चाहिए 

  कमर का घेरा 80 सेंटीमीटर से कम 

80 सेंटीमीटर या 31.4 इंच से कम का कमर का घेरा अच्छे स्वास्थ्य की निशानी होती है लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ जब मेटाबॉलिज्म स्लो होता है तो यह घेरा बढ़ता जाता है जो विभिन्न रोगों का कारक बनता है महिलाओं की कमर का घेरा  शिशु जन्म के बाद अक्सर बढ़ ही जाता हैकमर के घेरे और कूल्हे के घेरे का स्वास्थ्य से क्या संबंध है?. इसे अंग्रेजी में वैस्ट हिप रेशों कहा जाता है जो सामान्य रूप से पुरुष में 90 सेंटीमीटर तथा स्त्री में 80 सेंटीमीटर या उससे कम होना चाहिए दर्जी के द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाला टेप लें ले इंच या  सेंटीमीटर की साइड से पसलियों के नीचे कूल्हे की हड्डी के सबसे ऊपरी हिस्से के बीच में, सांस छोड़ने के बाद नाप लें  इसी प्रकार टेप को पुट्ठे के सबसे उन्नत  हिस्से पर रखकर कमर के घेरे को ले के घेरों से भाग देने पर वैस्ट हिप रेशों का प्राप्तांक आपके स्वस्थ शरीर का संकेतक हैयह अनुपात मोटापे और हृदय की धमनियों में खून कोरोनरी रोग के होने की आशंका का ध्योतक है

 खाली पेट सुबह रक्त में शक्कर का स्तर 80 मिलीग्राम के आस पास हो - 

शरीर की आधारभूत आवश्यकता है ग्लूकोस जो शरीर की प्रत्येक कोशिका के  लिए ऑक्सीजन के बाद सबसे महत्वपूर्ण हैहमारे चलने फिरने दौड़ने और मस्तिष्क से भरपूर कार्य लेने के लिए रक्त में बेहतर ग्लूकोस की आवश्यकता होती हैआपके शरीर की फिटनेस का एक बड़ा मापदंड है ग्लूकोस, जो सुबह खाली पेट की जाने वाली रक्त की जांच में शक्कर का स्तर 80 मिलीग्राम प्रति 100 मिलीलीटर रक्त के आसपास होना चाहिए यदि यह फास्टिंग शुगर का स्तर एक से अधिक बार में 100 के अंक से अधिक हो तो मधुमेह के लिए अन्य जांच कराना चाहिए ब्लड शुगर के प्रभावी नियंत्रण के लिए मात्र दो तत्व जिम्मेदार हैं- भोजन तथा आपकी व्यायाम की शैली यदि भोजन या नाश्ते के रूप में कैलोरी की आवक अधिक है तो शक्कर की मात्रा रक्त में बढ़ जाती हैइस काल में जब युवावस्था में ही डायबिटीज जैसे लाइलाज रोग से लोग पीड़ित हो रहे हैं जिसका कारण या असंतुलित और अधिक भोजन तथा व्यायाम की कमी, भूख से अधिक भोजन तैलीय, तामसिक भोजन, मीठे का अधिक सेवन, अत्यधिक चाय का सेवन, शराब के सेवन से ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता जिससे वजन बढ़ता है जिसके  कारण इंसुलिन हार्मोन के स्त्रावण में कमी हो जाती है और व्यक्ति मधुमेह के चपेट में आ जाता है संतुलित भोजन और नियमित व्यायाम शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक जीवन शैली के माध्यम से फास्टिंग ब्लड शुगर का स्तर 80 मिलीग्राम से नीचे रख सकते हैं

इ जी एफ आर का 80 के उपर होना

80 के नियम का पालन, किडनी के स्वास्थ्य में भी किया जाता है. इफेक्टिव ग्लौमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट का 80 से ऊपर होना उचित होता है जो यह प्रदर्शित करता है कि आपके शरीर में लगा यह किडनी फिल्टर बेहतर तरीके से काम कर रहा है

  शराब और 80 का नियम

80 के नियम का पालन उन लोगों के स्वास्थ्य को नियंत्रित और संतुलित कर सकता है जो शराब पीने के आदी हैं यदि वह इसकी मात्रा को 80 मिलीमीटर प्रति  सप्ताह के स्तर पर निर्धारित कर ले तो संभावना इस बात की होती है कि यह कम मात्रा अधिक नुकसान नहीं करेगी

 . भोजन ओर 80 का अंक  

80 के नियम का पालन भोजन की मात्रा से भी संबंधित हैआमतौर पर हमारा भोजन सुबह से शाम तक 80 ग्राम कैलोरी फूड में नियंत्रित किया जा सकता है और आपको शायद जानकार आश्चर्य होगा कि इंसुलिन के प्रभावी श्रावण और सर के लिए शक्कर की मात्रा का सेवन या जिसे हम अंग्रेजी भाषा में चीट डेस कहा जाता है साल में 80 दिन के लिए निर्धारित किया जा सकता है तो 365 दिन में शादी ब्याह पार्टी के दिनों में आप लो रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट भी लेकर आनंदित हो सकते हैं। इसी प्रकार 80 मिलीलीटर से ज्यादा की कोई भी कैलोरी ड्रिंक कोल्ड ड्रिंक, सॉफ्ट ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक एक बार में नहीं लेने का प्रण ठीक रहेगा ताकि आपका शरीर तंत्र फिल्टर किए जा सकने योग्य जहरीली मात्रा से भी आसानी से मुक्ति पा जाए

  80 का नियम ओर विटामिन डी -  

आपके शरीर में विटामिन डी का निर्माण सूर्य की रोशनी से स्वतः ही हो जाता है और यदि आप नियमित रूप से साल भर में सूर्य की रोशनी में रहते हैं तो 80 दिन का सूर्य की रोशनी का एक्स्पोज़र आपको विटामिन डी की शरीर में कमी कभी नहीं होने देगा यदि आप ध्यान दें तो ठंड के मौसम में आप सुबह घंटे 2 घंटे धूप में बैठते हैं और वह 80 दिन अगर आप पूरा कर लेते हैं तो विटामिन डी की कमी आपके शरीर में कदापि ना होगी. यही है 80 के नियम की खूबी...

 जब आप इस प्रकार 80 के नियम का पालन करने का प्रयास करते हैं तो आपके हृदय रोग या हृदयाघात होने की संभावना 80% तक कम हो जाएगी और यदि उसके बाद भी आपको आर्ट अटैक आता है तो समुचित औषधि की खुराक से आपके हृदय के परिष्कृत परिचालन में कोई कमी नहीं आएगी....

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डा. अनिल भदौरिया एम.बी.बी.एस. (एम.जी.एम. मेडिकल कॉलेज, इंदौर ), एम.पी. टी. (स्पोर्ट्स), एम.बी.ए. सहायक संचालक, कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएँ, श्रम विभाग, मध्य प्रदेश शासन में सेवारत है तथा मुख्यालय इंदौर में पदस्थ हैं 

डॉ भदौरिया की सेक्स एजुकेशन (पीकॉक पब्लिकेशन, नई दिल्ली) से पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है वे नई दुनिया, दैनिक भास्कर, अहा दुनिया, पत्रिका, जीमा (कलकत्ता) में अपने स्वास्थ्यपरक, यात्रा वृतांत, कविताओं व व्यंग्य आधारित आलेखों से प्रकाशित होते रहे हैं इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन की इंदौर शाखा के अध्यक्ष भी रहे हैं तथा राष्ट्रीय स्तर पर भी विभिन्न पदों पर कार्य करते रहे हैं