स्वस्थ कैसे रहें ? कुछ नुस्खे ! आलेख - ओंकार कोसे
स्वस्थ कैसे रहें ? कुछ नुस्खे !
- ओंकार कोसे
जैसा खाएं अन्न - वैसा होय मन; यह कहावत भारतीय संस्कारों की ही देन है। जीवन के सुदीर्घ अनुभव और ठोस सबूत हमें सिखाते हैं कि लंबे और सक्रिय जीवन जीने की संभावना को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका उन सलाहों को मानना है जो आपने शायद अपने माता-पिता से भी सुनी होगी; संतुलित भोजन करें, नियमित रूप से व्यायाम करें, भरपूर नींद लें और बुरी आदतों (व्यसनों) से दूर रहें।
औसत आयु
आज अमेरिका में जन्मे लोग औसतन 79 साल तक जीते हैं। भारत में लोगों की औसत आयु 71 वर्ष है जो पहले बहुत कम थी। स्वास्थ्य सुविधाओं और पोषक आहार की सुविधा बढ़ने से यह सुधार हुआ है। पुरुषों की औसत उम्र 68 साल 4 महीने है, जबकि महिलाओं की औसत उम्र 71 साल 1 महीने है। वहीं ग्रामीण लोगों की तुलना में शहरी लोगों की उम्र ज्यादा है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में कामकाज की असुरक्षित व्यवस्था तथा स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी प्रमुख कारण है। औसत आयु के बढ़ने में स्वास्थ्य सुविधाओं का अच्छा होना, पोषण तथा पर्यावरण के शुद्धता का अच्छा होना भी एक प्रमुख कारक होता है।
स्वस्थ जीवन जीने के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच, चिकित्सकीय परीक्षण, जांच और टीकाकरण करवाते रहें । अच्छा व संतुलित भोजन खाएं। फल और सब्ज़ियाँ, प्रोटीन, साबुत अनाज और कम वसा वाले या बिना वसा वाले डेयरी उत्पाद लें। अस्वास्थ्यकर वसा, नमक और अतिरिक्त चीनी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें।
स्वस्थ जीवन जीने का मतलब सिर्फ़ कठोर दिनचर्या या सख्त आहार का पालन करना नहीं है; इसमें हमारे शरीर, मन और प्रकृति के बीच के संबंध को समझना शामिल है। चिकित्सक एवं पोषण विशेषज्ञ स्वस्थ जीवन जीने के लिए तमाम तरह के व्यावहारिक सुझाव देते रहते हैं।
प्रकृति से जुड़ें
धार्मिक और वैज्ञानिक विशेषज्ञ मिट्टी के साथ सीधे संबंध रखने के महत्व पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। एक अवधारणा जिसे वे पृथ्वी प्रेम सेवा (पृथ्वी की प्रेमपूर्ण सेवा) कहते हैं। नियमित रूप से मिट्टी को छूने से - चाहे बागवानी हो या नंगे पैर चलना - प्रतिरक्षा प्रणाली को काफी मजबूती दे सकता है और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार भी कर सकता है।
आहार में कच्चे खाद्य पदार्थ शामिल करें
फल, सब्ज़ियाँ, मेवे और अंकुरित अनाज जैसे ताज़े, कच्चे खाद्य पदार्थ आपके आहार का लगभग 40-50% हिस्सा बन सकते हैं। पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, कच्चे खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक एंजाइम होते हैं जो पाचन में सहायता करते हैं और विटामिन को आसानी से अवशोषित कर सकते हैं। इस प्रकार शरीर द्वारा भारी मात्रा में पके हुए खाद्य पदार्थों को पचाने में उपयोग की जाने वाली ऊर्जा को बचाया जा सकता है।
भरपूर पानी पीयें
जीवन के लिए पानी बहुत ज़रूरी है। यह मानव शरीर का लगभग 72% हिस्सा है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि पीने का पानी साफ हो और पर्याप्त मिनरल्स युक्त हो। पानी पाचन में तथा बीपी को सामान्य बनाए रखने में सहायक होता है । पानी शरीर का तापमान बनाए रखने तथा शरीर में से अनावश्यक लवणों को बाहर फेंकने में भी मदद करता है । यह त्वचा को स्वस्थ रखने में भी सहायक होता है।
उपवास के फायदे
खाली पेट होने का मतलब भूखा रहना नहीं है। थोड़ी मात्रा में फल, दूध और पानी लिया जा सकता है। इसका मतलब है कि शरीर को भोजन को पूरी तरह से पचाने का समय देना। अर्थात भोजन के बीच 6 से 8 घंटे का अंतराल रखने से पाचन ठीक से हो सकता है और सप्ताह में एक दिन उपवास रखना लाभदायक होता है क्योंकि इससे शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है।
आप क्या खाते हैं इस पर ध्यान दें
अत्यधिक खाने के बजाय, हर दिन अपने शरीर की ज़रूरतों पर ध्यान देते हुए शारीरिक गतिविधि या तनाव के स्तर के आधार पर भोजन की मात्रा और प्रकार में बदलाव हो सकता है। शरीर के संकेतों पर ध्यान देने से आप बेहतर पाचन के लिए भोजन कर सकते हैं।
भोजन का सम्मान करें, ईश्वर को धन्यवाद कहें
हमारी सभ्यता में भोजन का सम्मान करने की परंपरा है। ईश्वर को याद करके और उसे धन्यवाद करते हुए भोजन ग्रहण करने की समाज में परंपरा रही है। साथ ही भोजन का अपव्यय न करने की भी मान्यता रही है। कई लोगों को भोजन नहीं मिलता है और हम भोजन का अपव्यय करें, यह मानवता नहीं है । आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन को प्रसन्नता से ग्रहण करने का भी विशेष महत्व हैं। प्रसन्नचित्त होकर भोजन करने से भोजन का शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और मन को तृप्ति भी मिलती है।
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श्री ओंकार कोसे पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल के मुख्यालय, रतलाम में राजभाषा विभाग में पदस्थ थे। सेवानिवृत्त होने के बाद भोपाल में निवास कर रहे हैं।
*भोपाल*