प्रयागराज महाकुम्भ में आकर्षण का केंद्र होगा कलाग्राम

प्रयागराज।  सोमवार, 13 जनवरी को प्रयागराज में शुरू हो रहे विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम महाकुम्भ में श्रद्धालुओं को बीते कुम्भ से कुछ अलग अनुभव होगा  उत्तरप्रदेश सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधाओं में कोई कसर बाकी नहीं रखी है वहीं केंद्र सरकार के अनेक मंत्रालय भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने करीब 10 एकड़ क्षेत्र में “कलाग्राम” तैयार किया है जहां भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया गया है।  देश के विभिन्न स्थानों पर स्थापित 12 ज्योतिर्लिगों के आकार में तैयार अनोखे कलाग्राम का उद्देश्य भारतीय लोक कला, संस्कृति और परंपराओं की जानकारी प्रदान करना है। करीब 635 फीट चौड़ा एवं 54 फीट ऊँचा मुख्य भव्य प्रवेश द्वार आगंतुकों को विस्मित कर देगा। कलाग्राम मंच, चार धाम को अपनी पृष्ठभूमि के रूप में जीवन्त दिखाई देगा। इसमें राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कलाकारों द्वारा निर्मित दो विशाल पट्टचित्र माँ दुर्गा एवं गणपति की कथा का वर्णन किया गया है।  

       कलाग्राम में देश भर के कोने-कोने से आए कलाकारों, शिल्पकारों एवं कलाविदों को उनकी असाधारण प्रतिभा एवं चिरकालिक परम्पराओं को प्रदर्शित करने के लिए एक ही छत के नीचे लाने का प्रयास किया गया है। कलाग्राम में समूचे भारत की कला और संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। इसके लिए कलाग्राम, गंगा पण्डाल, झूसी, नागावासुकी एवं अरेल में विभिन्न मंचों पर 45 दिनों के लिए 14,632 कलाकार, संगीत नाटक अकादमी, क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों द्वारा आयोजित प्रस्तुतियों में, प्रत्येक दिन पद्म एवं एसएनए पुरस्कार विजेता दिग्गजों से लेकर उदीयमान युवा प्रतिभाओं, लोक नर्तकों की रंगारंग मण्डली, भावपूर्ण शास्त्रीय शैली एवं मनोरंजक सेलिब्रिटी प्रदर्शन, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा मंचित नाट्य प्रदर्शन दर्शकों को मुग्ध करेंगे।

      सांस्कृतिक महाकुंभ के तहत स्थानीय उत्पादों को बढावा देने के लिए विभिन्न क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों से आए 84 शिल्पकार एवं 14 व्यंजनकार अपने-अपने स्टाल लगाएंगें। त्रिवेणी मार्ग पर बने गंगा पंडाल में 31 दिग्गज कलाकारों का जमावड़ा होगा जो अपने प्रस्तुतियों से दर्शकों को आनंदित करेंगे। मुंबई, मणिपुर, दिल्ली, भुनेश्वर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पं बंगाल, हैदराबाद, कोलाकाता आदि विभिन्न राज्यों से कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देगें।

      कलाग्राम में हस्तशिल्प की प्रदर्शनी और ब्रिक्री हेतु आकर्षक थीम पर आंगन बनाया गया है, जिसमें नक्काशीदार लकड़ी की मूर्तियाँ, पीतल के शिव लिंगम, हाथ से बुने हुए ऊनी शॉल, रुद्राक्ष मालाएँ, मिट्टी के बर्तन, पारंपरिक राजस्थानी कठपुतलियाँ, टाई-डाई कपड़े, लघु चित्रकलाएँटेराकोटा मूर्तियाँ, बंगाल की कांथा- साड़ियाँ, जूट हस्तशिल्प, पट्टचित्र चित्रकला, पीतल के दीपक, पारंपरिक तंजौर चित्रकलाएँ, रेशम वस्त्र, हस्तनिर्मित मंदिर आभूषण, हाथ से चित्रित मध्य प्रदेश की जनजातीय कला, पत्थर की नक्काशी, मनका आभूषण, हस्तनिर्मित चंदेरी साड़ियाँ, असमिया रेशम साड़ियाँ, हाथ से बने मुखौटे, जनजातीय आभूषण, पैठणी साड़ियाँ, वरली चित्रकला, हाथ से नक्काशीदार लकड़ी की कलाकृतियाँ, मिट्टी के बर्तन आदि के साथ सभी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों के प्रामाणिक व्यंजन व प्रयागराज के स्थानीय व्यंजन आकर्षण का केंद्र होगें।

न्यूज़ सोर्स : पसूका