वानस्पतिक औषधि से गठिया का इलाज
वानस्पतिक औषधि से गठिया का इलाज
गठिया (आर्थराइटिस) रोग से पीड़ित व्यक्तियों को अब निराश होने की जरूरत नहीं है। गठिया के उपचार के लिए वनस्पति आधारित सहक्रियात्मक प्राकृतिक पूरक (सिनर्जेटिक नेचुरल सप्लीमेंट) विकसित किया गया है। यह औषधि वृद्ध, बुजुर्ग और परिस्थिति से समझौता कर चुके गठिया के रोगियों की जीवनशैली में सुधार करके उनकी गतिशीलता को बहाल करने और दर्द, जोड़ों में कठोरता, लालिमा आदि जैसे संबंधित लक्षणों में सुधार करके उपयोगी हो सकता है। लखनऊ स्थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनबीआरआई) ने गठिया की समस्या के समाधान के लिए 'एनबीआरआई-गाउट आउट' नामक एक हर्बल (वानस्पतिक) उत्पाद विकसित किया है, जो पांच औषधीय पौधों का एक संयोजन है। इस पहल को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के बीज प्रभाग, "युवा वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद् के लिए योजना" के अंतर्गत वित्त पोषित किया गया था।
रक्त सीरम में बढ़े हुए युरिक एसिड के कारण होने वाला गठिया भारत की 35 वर्ष से अधिक आयु की जनसंख्या को प्रभावित करने लगा है। बाजार में कुछ वानस्पतिक उत्पाद (हर्बल प्रोडक्ट्स) उपलब्ध हैं जो गठिया के इलाज के लिए उपलब्ध हैं। हालाँकि, जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने जैसे दावों वाले कई वर्तमान में उपलब्ध हर्बल उत्पादों को वैज्ञानिक मान्यता नहीं है और उनका विपणन केवल पारंपरिक दावों के आधार पर किया जाता है। इसके अलावा, वर्तमान उत्पादों में सामग्री की संख्या भी काफी अधिक है। गठिया का इलाज प्राकृतिक पौधे-आधारित उत्पाद से किया जा सकता है ।
लखनऊ स्थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान फार्माकोग्नॉसी डिवीजन में प्रधान अन्वेषक डॉ. अंकिता मिश्रा और प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. शरद श्रीवास्तव की सलाह के अंतर्गत विकसित वानस्पतिक (हर्बल) उपचार को मानक के समतुल्य गाउट/गाउटी गठिया के इलाज में प्रभावकारी पाया गया। औषधि कोल्सीसीन संयोजन की जैव-प्रभावकारिता का परीक्षण प्रयोगशाला स्थितियों के अंतर्गत इन-विट्रो और इन-विवो परीक्षणों की बैटरी के माध्यम से किया गया था और इसके अलावा, पशु मॉडल में एनबीआरआई-गाउट आउट की सुरक्षा और विषाक्तता भी स्थापित की गई थी। अध्ययनों से पता चला है कि यूरिक एसिड में 80 प्रतिशत तक की उल्लेखनीय कमी और सूजन मध्यस्थों (आईएल-6, टीएनएफ-α, आईएल-1β) में लगभग 70 प्रतिशत तक की कमी आई है, जो गठिया (गाउट) के रोग होने के प्राथमिक कारण हैं। इसके अतिरिक्त, इससे दर्द, जोड़ों में कठोरता में उल्लेखनीय कमी और गतिशीलता में भी सुधार देखा गया। यह पूरी तरह से पानी में घुलनशील है और इसमें कोई विलायक अवशेष नहीं है। उपयोग किया जाने वाला कच्चा माल हर्बल दवा बाजार में व्यापक रूप से उपलब्ध है और इससे जैव विविधता (बायो डाइवर्सिटी) को कोई खतरा नहीं है। उत्पाद को आयुष मोड में विकसित किया गया है, यह लागत प्रभावी है और दो कंपनियों ने इसके व्यावसायीकरण में रुचि दिखाई है। हर्बल उपचार का उपयोग गाउटी गठिया, गाउटी फ्लेयर, रोगनिरोधी (प्रोफिलैक्सिस) मामलों और गाउटी लक्षणों वाले अज्ञातहेतुक (इडियोपैथिक) मामलों में उपचार की वर्तमान व्यवस्था के साथ सहायक चिकित्सा के रूप में भी किया जा सकता है।