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आज का चिंतन

                                                  * संजय अग्रवाल

 

आत्मावलोकन ..

 

व्यक्ति और व्यक्तित्व

व्यक्ति वह-

जो आप अंदर से हैं,

स्वयं से हैं

और आपका व्यक्तित्व 

वह है 

जो दूसरे लोग 

आपको एक 

व्यक्ति के रूप में 

देख कर समझते हैं 

और स्वयं के दृष्टिकोण 

से आपको परखते हैं।

 

व्यक्ति क्यों महत्वपूर्ण है?

हर एक की अपनी

एक मूल प्रकृति होती है 

प्रवृत्ति होती है।

व्यक्ति की प्रवृत्ति 

बदल भी सकती है 

किंतु 

उसकी मूल प्रकृति 

कभी भी

बदलती नहीं है। 

तो यह जानना 

और समझ लेना 

आवश्यक होता है

कि हमारी 

मूल प्रकृति 

क्या है

और तब 

उस मूल प्रकृति  

के अनुसार 

जीवन जीने से ही हमें 

संतोष और आनंद 

की प्राप्ति 

हो सकती है

होती ही है। 

और 

यही जीवन में 

अभीष्ट या वांछित  

होता है।

 

व्यक्तित्व क्यों महत्वपूर्ण है?

बाहरी संसार में 

जीवन जीने के 

अपने अलग नियम हैं। 

वहां निरंतर 

तुलना होती रहती है

प्रतिस्पर्धा होती है और 

उसमें हमें सफल 

होना होता है,

निभाना होता है। 

इसके लिए हम 

अपने व्यक्तित्व का 

योजन, रचना और

निर्माण करते हैं।

और यह हम 

अपने पहनावे से

अपने गुणों से,

अपने विचारों और 

प्रतिभा का 

भिन्न-भिन्न प्रकार से

प्रदर्शन करके,

दिखावा करके

करते हैं।

 

व्यक्तित्व का प्रदर्शन 

करने के प्रयास में 

हम कई बार 

अंजाने ही 

अपने अंतर में

स्थित व्यक्ति से

संघर्ष कर लेते हैं,

जिसकी कतई 

कोई आवश्यकता 

नहीं होती है 

क्योंकि हमारे 

व्यक्तित्व का संबंध 

केवल बाहरी संसार से है 

जबकि हमारे अन्दर के

व्यक्ति का संबंध 

उसके निज स्वरूप से है,

उसके आंतरिक संसार से है।

 

हम अपने व्यक्तित्व को 

चाहे किसी भी 

रूप में दर्शाएं,

लेकिन एक समय के बाद 

हमारे आंतरिक और मौलिक

गुणों का उद्घाटन

स्वतः ही हो जाता है

क्योंकि उन्हें हम 

बहुत लंबे समय तक 

दिखावे के आवरण में 

छुपा कर नहीं रख सकते।

 

प्राथमिकता किसे दें

बाहरी संसार में 

सफलतापूर्वक जीना है 

तो निश्चित रूप से 

हमें व्यक्तित्व को ही 

प्राथमिकता देनी होगी।

क्योंकि वहां हमें

दूसरों की रुचि 

तथा उनकी समझ 

और आवश्यकता 

के अनुसार 

व्यवहार करना होता है। 

और यदि हमें 

आंतरिक शांति और 

संतोष का प्राप्त करना है

उसका अनुभव करना है 

तो हमें 

निसंकोच अपने  

अंदर स्थित व्यक्ति

की मूल प्रकृति 

को ही प्रमुखता देनी होगी 

क्योंकि मूल प्रकृति 

को लेकर हमारी 

स्वयं की समझ 

और स्पष्टता 

और उसके अनुसार 

हमारा स्वयं पर 

अटल विश्वास ही,

हमें जीवन की 

पूर्णता तक

पहुंचा सकता है।

 

हमें जांचना होगा कि

क्या हम

व्यक्ति और व्यक्तित्व

के भेद को समझते हुए 

क्या हम उन्हें अलग-अलग

रख पाते हैं?

 

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं