भूतकाल के भूत

बीते हुए जीवन की

घटनाओं का असर

हमारे मन मस्तिष्क पर 

अवश्य ही होता है। 

उसी से हमें 

अनुभव प्राप्त होते हैं 

और उनके आधार पर 

ही हम अधिकतर, अपने 

आगे के कार्यों की 

रूपरेखा निश्चित करते हैं।

 

जो हुआ सो हुआ

हमारे जीवन में 

अच्छा और बुरा 

दोनों ही होते हैं।

लेकिन अच्छे अनुभवों को 

हम जल्दी भूल जाते हैं

और बुरे अनुभवों का प्रभाव 

हमारे ऊपर लंबे समय तक 

रह जाता है

यदि हम सतर्क ना हों तो।

 

*बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेय*

ऐसा इसलिए कहते हैं 

कि पुरानी बातों को छोड़कर 

हम नए उत्साह, नई ऊर्जा 

के साथ कार्य करें 

आगे बढ़ें 

और बढ़ते ही रहें।

पहले यदि कभी कुछ 

गलत हो गया था और 

यदि हम पुराने जंजाल 

में ही उलझे रहेंगे 

तो आगे बढ़ नहीं पाएंगे।

 

हर दिन नई शुरुआत

हमें सदैव वर्तमान के प्रति 

पूरी तरह सचेत 

रहना चाहिए और 

अपने अनुभव

अपनी समझ 

और साहस के साथ 

हर कार्य को 

उत्साहपूर्वक करना चाहिए।

भूतकाल में यदि हम 

असफल हुए भी हैं तो,

उसका अनुभव हमारे

अंदर समा गया है

उससे हम और अधिक 

परिपक्व हो गए हैं,

और बेहतर तरीके से 

कार्य को करने के लिए 

सक्षम हो गए हैं

इसका पूरा विश्वास हमें 

अवश्य ही होना चाहिए।

 

सचेत रहें

हमें इस बात के लिए 

हर क्षण सचेत रहना है 

कि हम बेहतर करने में 

पूरी तरह सक्षम हैं,

और हम अपने प्रयास 

में कोई भी कमी 

कतई नहीं छोड़ेंगे।

 

मुझे जांचना होगा कि

मैंने सचेत रह कर,

पुराने अनुभवों से 

शिक्षा लेकर

आगे के कार्य के लिए 

स्वयं को 

पूरी तरह तैयार

कर लिया है या नहीं?

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  •  श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं  मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं