आपका दिन शुभ हो... मंगलमय हो... आज का चिंतन * संजय अग्रवाल
आपका दिन शुभ हो ... मंगलमय हो
आज का चिंतन
दिखावा
वास्तविकता से हटकर
जो भी हम प्रदर्शित करते हैं
वही दिखावा है
हम प्रदर्शन करते हैं,
अपनी अवास्तविक शक्ति का,
अपनी झूठी शान का, समृद्धि का,
बड़े लोगों से पहचान का,
बड़े काम को अंजाम देने का
और ऐसे ही अन्य कई दिखावे
जो सत्यता से कतई परे होते हैं
या बढ़ा - चढ़ा कर बताए जाते हैं।
दिखावे की प्रवृत्ति
वस्तुत: शायद बचपन से ही
दूसरों से आगे बढ़ने की होड़ में
या हमेशा आगे बने रहने के दबाव में,
हम दिखावा करने लगते हैं ।
मनुष्य का सामान्य स्वभाव है भी
कि वह स्वयं को
अधिकांशत: दूसरों से
श्रेष्ठ ही समझता है
और इसीलिए दूसरों की श्रेष्ठता
उसे सामान्यतया स्वीकार नहीं होती है।
दिखावे से हानि और दुष्प्रभाव
दिखावा करते-करते
व्यक्ति अपनी सहजता से
दूर हो जाता है
उसकी इमानदारी समाप्त हो जाती है
और इसलिए उसकी
विश्वसनीय भी समाप्त हो जाती है
और इसके कारण उसके
अच्छे संबंध भी बिगड़ने लगते हैं
और धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं
इसके कारण
अनेक बार अपयश और
अपमान का सामना भी करना पड़ता है
वह सदैव डर, उद्विग्नता और
आशंका के साए में जीता है ।
दिखावे से कैसे बचें
यदि हम अपने ऊपर
पूरा विश्वास रखते हैं और
दूसरों के अस्तित्व की
उनकी क्षमता की,
योग्यता की सहज स्वीकार्यता रखते हैं
तो हमें दिखावा करने की
आवश्यकता ही नहीं होगी
हम स्वयं के गुणों की
योग्यता और क्षमता की
निरंतर बढ़ोतरी अपने प्रयासों से
और दूसरों के साथ से
अवश्य ही कर सकते हैं।
हमें यह विश्वास सदैव होना चाहिए
इतनी ईमानदारी अवश्य होनी ही चाहिए
दिखावा करने के आकर्षण से
मुक्त हो जाना परिपक्वता को दर्शाता है।
मुझे जांचना होगा कि
मैं कहीं दिखावे के भुलावे में
तो नहीं पड़ा हूं
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- श्री संजय अग्रवाल आयकर विभाग, नागपुर में संयुक्त आयकर आयुक्त हैं. वे हमेशा लोगों से सम्पर्क और संवाद करने के लिये इच्छुक रहते हैं। इसीलिए वे संपर्क, संवाद और सृजन में सबसे अधिक विश्वास करते हैं। मानवीय मूल्यों और सम्बंधों के सूक्ष्म विश्लेषण के चितेरे श्री अग्रवाल "आज का चिंतन" नियमित रूप से लिख रहे हैं।