लखनऊ । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सियासी जंग पश्चिम से शुरू होकर अब पूर्वांचल में पहुंच गई है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव के बाद अब अपने दोस्त व सहयोगी के बेटे के लिए वोट मांगने उतरेंगे। मुलायम सिंह ने अभी तक सिर्फ करहल सीट पर जनसभा की है और अब पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव के लिए जौनपुर की मल्हनी सीट पर चुनाव प्रचार करेंगे। पीएम मोदी भी उसी दिन उसी जिले में रैली कर अपना दुर्ग बचाने की कवायद करेंगे तो मुलायम सिंह पूर्वांचल के सियासी समीकरणों को प्रभावित करने का प्रयास करेंगे।
सपा संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव तीन मार्च गुरुवार को जौनपुर की मल्हनी सीट पर जनसभा करेंगे। मल्हनी सीट पर मुलायम सिंह के करीबी स्व पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। मुलायम की यह रैली छठे चरण के लिए 57 सीटों पर मतदान के दिन होने जा रही है। इस तरह से जौनपुर में मुलायम की रैली से सपा पूर्वांचल की सियासी लड़ाई में बढ़त हासिल करने की कोशिश कर रही है।
उल्लेखनीय है कि मुलायम सिंह ने 2017 के चुनाव में भी महज दो रैली की थीं, जिनमें एक रैली शिवपाल यादव के लिए जसवंतनगर में और दूसरी जनसभा परसनाथ यादव के लिए मल्हनी सीट पर की थी। मोदी लहर के बावजूद यह दोनों सीटें सपा जीतने में कामयाब रही थी। इस बार भी मुलायम सिंह यादव की सूबे में महज दो ही रैली रखी गई हैं, जिसमें एक अखिलेश की करहल सीट और दूसरी लकी यादव की मल्हनी सीट। इन दोनों जगह पर मुलायम सिंह यादव की रैली कराने के पीछे सपा की सोची समझी रणनीति भी मानी जा रही है।
मुलायम सिंह ने करहल सीट पर चुनाव प्रचार में उतर सियासी यूपी के इस हिस्से में सख्त संदेश देने का प्रयास किया था। अखिलेश यादव अपने पुराने दुर्ग को भाजपा से छीनने के लिए उतरे हैं। मुलायम सिंह के मल्हनी सीट पर लकी यादव के पक्ष में माहौल बनाने के क्रम में यह जनसभा की है। दरअसल, जौनपुर के एक तरफ अखिलेश यादव का संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ है तो दूसरी तरफ पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र काशी है। इस पूरे इलाके में सातवें चरण में चुनाव है, जहां पीएम मोदी 3 मार्च से ही कैंप करने जा रहे हैं।
पीएम मोदी भी तीन मार्च को जौनपुर में रैली करने वाले हैं। मोदी की रैली जफराबाद के जीआईजी मैदान में होगी। ऐसे में सपा ने भी मुलायम सिंह यादव की जौनपुर में उसी दिन रैली रखकर बड़ा सियासी दांव चला है। मुलायम सिंह ही पारसनाथ यादव को सियासत में लेकर आए थे और पूर्वांचल में ओबीसी के कद्दावर नेता के तौर पर स्थापित किया था। पारसनाथ मुलायम के साथ मरते दम तक कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। पारसनाथ यादव अपना पहला विधानसभा चुनाव 1985 में जौनपुर की बरसठी सीट से लोकदल के टिकट पर जीते थे। इसके बाद वह 1989 में जनता दल से विधायक बने और 1993 में सपा से जीत दर्ज की।
1996 और 2002 में मड़ियाहूं से चुने गए और 2012-2017 में भी मल्हनी सीट से जीत दर्ज की थी। मल्हनी सीट पर पारसनाथ यादव का लंबे समय से कब्जा रहा है। 2020 में पारसनाथ यादव के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे लकी यादव को सपा ने प्रत्याशी बनाया था। प्रदेश में एक साथ हुए सात उपचुनावों में सपा को केवल इसी सीट पर सफलता मिली थी। लकी यादव ने बाहुबली नेता पूर्व सांसद धनंजय सिंह को हराकर अपने पिता की विरासत को बरकरार रखा था।