अलीगढ़,।  सरकार बनते ही एक बार फिर बुलडोजर गरजने लगा है। इससे सरकारी जमीनों पर कब्जेदारों के हौसले पस्त हुए हैं। जिस सख्ती के साथ कार्रवाई हो रही है, निश्चित आने वाले दिनों में कोई सरकारी जमीन की ओर देखेगा भी नहीं। मगर, सरकारी महकमे में अफसरों में अभी भी सुस्ती है। वहां जनता के कार्यों के प्रति अभी भी उदासीनता दिख रही है। यह चर्चा भगवा पार्टी के अंदर भी होनी शुरू हो गई है। सरकार बनने पर जो राम को लाए हैं गीत क्या बजा दबंगों ने एक महिला के साथ अभद्रता कर दी। एक महीने होने को हैं, मगर पुलिस अभी मुख्य आरोपितों को गिरफ्तार तक नहीं कर सकी है। धनीपुर क्षेत्र में एक लेखपाल से नेताजी ने पैरवी कर दी तो वह अपने रौ में आ गए। बोले, अब पैरवी करवा लो, वाजिब काम करने तक को तैयार नहीं है। सख्ती का असर यहां भी तो दिखना चाहिए।

बुल्डोजर के नाम से कांप रहे माफिया
सीएम योगी ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कई जनसभाओं में लोगों से वादा किया था कि 10 मार्च के बाद प्रदेश के सभी जिलों में फिर से बुलडोजर दहाड़ेगा। इन्हीं बयानों के बाद से लोग सीएम को ‘बुलडोजर बाबा’ के नाम से पुकराने लगे। अब बाबा की जीत के बाद जनता गदगद है और कब्जेदार परेशान हैं। सरकार बनते ही माफिया के खिलाफ फिर से एक्शन शुरू हो गया है। सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी कर जमीन कब्जाने वाले लोगों को चिह्नित किया जा रहा है। जिले की सदर तहसील में एक सप्ताह में कई करोड़ की जमीन कब्जा मुक्त हो चुकी है। अभी एक दर्जन के करीब माफिया और प्रशासन की रडार पर हैं। अगले कुछ दिनों में इन पर भी कार्रवाई होनी तय है। सड़क से निकलते बुलडोजर को देखकर अब तो लोग पहले ही बता देते हैं कि आज फिर किसी की शामत आई है। बुलडोजर के नाम से ही माफिया कांप रहे हैं। विधानसभा चुनाव में भगवा पार्टी में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त थी, मगर टिकट तो एक को ही मिलना था। सो, तमाम दावेदारों के मंसूबों पर पानी फिर गया। अब वो सरकार में जगह तलाश कर रहे हैं। चूंकि दमदारी से सरकार बनी है तो दावा भी उनका पक्का बनता है। सभी अपनी-अपनी तरह से बिसात बिछाने की कोशिश कर रहे हैं। अब जिले के चौधरी साहब जनप्रतिनिधि बन गए। इसके बाद तो दावेदारों की सक्रियता और बढ़ गई है। एक नेताजी ने तो यहां तक कह दिया कि जहां मौका मिल जाए वहां अंगद की तरह पैर जमा लो, सरकार अपनी है, पांच साल तक चलनी है। जनप्रतिनिधि नहीं सही, मगर पद तो होगा। इससे कम से कम पांच साल कोई बोल तो नहीं सकेगा। पद के लिए प्रदेश कार्यालय तक दौड़ भी लगानी शुरू कर दी है। महानगर में भी नए-नए दावेदार पूरे दमखम से दावा ठोक रहे हैं।