लखनऊ । राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले के आरोपी पूर्व डिप्टी सीएमओ डॉ. वाईएस सचान ने लखनऊ जेल में खुदकुशी नहीं की थी। सीबीआई की विशेष अदालत ने सबूतों के आधार पर मौत को हत्या और साजिश का मामला माना है। विशेष अदालत ने इस मामले में लखनऊ जेल में तैनात अधिकारियों के साथ तत्कालीन पुलिस अधिकारियों को भी तलब किया है। अधिकारियों को आठ अगस्त को हाजिर होकर बयान दर्ज कराने होंगे।
सीबीआई की विशेष अदालत की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट समृद्धि मिश्रा ने घटना के वक्त जेल में तैनात जेलर बीएस मुकुंद, डिप्टी जेलर सुनील कुमार सिंह, बंदी रक्षक बाबू राम दुबे और महेंद्र सिंह को कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखने को कहा है। इन्हें आरोपी बनाया गया है। साथ ही प्रदेश के तत्कालीन डीजीपी करमवीर सिंह, एडीजी वीके गुप्ता और आईजी लखनऊ जोन सुभाष कुमार सिंह को भी तलब किया है। कोर्ट ने यह आदेश डॉ. वाईएस सचान की पत्नी मालती की रिट पर सुनवाई के बाद दिए हैं।
याद हो कि 22 जून 2011 को डॉ. वाईएस सचान की जेल में संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। वह एनआरएचएम घोटाले में जेल में बंद थे। उनकी मौत होने पर परिजनों की तरफ से गोसाईगंज थाने में अज्ञात के खिलाफ पत्नी ने एफआईआर दर्ज कराई गई थी। 11 जुलाई 2011 को न्यायिक जांच रिपोर्ट में डॉ. सचान की मौत को हत्या बताया गया था। 14 जुलाई 2011 को हाईकोर्ट ने जांच सीबीआई को ट्रांसफर कर दी। 27 सितंबर 2012 को सीबीआई ने जांच के बाद डॉ. सचान की मौत को सुसाइड बताते हुए चार्जशीट लगा दी थी। इसके खिलाफ मालती सचान ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।