लखनऊ । एक ओर उत्तर प्रदेश भीषण गर्मी की चपेट में है तो वहीं राज्य बिजली संकट लोगों की परेशानियों को और बढ़ा रहा है। दरअसल राज्य के पावर प्लांट अपनी पूरी क्षमता से विद्युत उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। स्थिति यह है कि दो प्लांट बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। इसके पीछे की वजह कोयले की कमी बतायी गयी है। कमी के चलते अघोषित विद्युत कटौती देखने का मिल रही है। राज्य सरकार की ओर से कोयले की कमी को पूरा करने के लिए केन्द्र से सम्पर्क साधा गया है लेकिन फिलहाल संकट बरकरार है। राज्य में इससे पहले अक्टूबर 2021 के शुरूआती सप्ताह में कोयले की किल्लत हुई थी। उस दौरान एनर्जी एक्सचेंज से बिजली खरीदनी पड़ी थी। माना जा रहा है कि यदि अगले 48 घण्टे में कोयेले की व्यवस्था नहीं हुई तो यूपी के बिजली उपभोक्ताओं को भारी कटौती का सामना करना पड़ सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार बुन्देलखंड के पारीछा और हरदुआगंज में कोयले की कमी शुरू हो गई है। इसके साथ ही ललित पुर पावर प्लांट में बिजली उत्पादन गिर गया है। यहां मौजूदा समय कोयला का स्टॉक 15 फीसदी से भी कम है। जिससे एक दिन की बिजली भी नहीं तैयार हो सकती है। स्थिति यह है कि कोयले की कमी से जूझ रहे बुंदेलखंड के दोनो पावर प्लांट बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। पारीछा से जहां 1140 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाता है, वहीं हरदुआगंज पावर प्लांट से करीब 1265 मेगावॉट बिजली एक दिन में पैदा होती है। दोनों ही पावर प्लांट को मिलाकर 2405 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जाता है। लेकिन अभी दोनों में कोई भी अपनी पूरी क्षमता से बिजली का उत्पादन नहीं कर पा रहा है। इसके पीछे वजह सिर्फ वही है कोयले की किल्लत। जरूरत के हिसाब से जितना कोयला चाहिए उससे कम स्टॉक बचा है। पारीछा में जहां महज तीन फीसदी वहीं हरदुआगंज में 13 फीसदी कोयले का स्टॉक बचा हुआ है। पारीछा पावर प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए प्रतिदिन 16 हजार टन कोयले की जरूरत होती है। हरदुआगंज के के लिए 19000 टन कोयले की जरूरत है। सभी प्लांट को मिलाकर एक दिन में 25 करोड़ रुपए का कोयला खरीदना पड़ता है।