लखनऊ । अखिलेश यादव और शिवपाल के नए रुख से दोनों की राहें जुदा होती नजर आ रही हैं। ऐसा लग रहा है कि समाजवादी पार्टी (सपा) नहीं चाहती कि शिवपाल यादव पार्टी में बने रहें और शिवपाल भी यहां से बाहर निकलने की वजह ढूंढ रहे हैं। उनके लिए सबसे मुफीद यही है कि सपा उनको निष्कासित कर दे। शिवपाल ने गुरुवार को सपा मुखिया पर पलटवार कर अपने इरादे जता दिए हैं। वह खुद पार्टी छोड़ने के मूड में नहीं हैं। इससे उनकी विधायकी पर संकट आ सकता है। शायद इसी लिए उन्होंने खुद कह दिया है कि सपा चाहे तो उन्हें पार्टी से निकाल दे। सपा यह कदम उठाने से बचना चाहती है। अगर पार्टी से निकाला तो शिवपाल यादव परिवार व समर्थकों के बीच सहानुभूति पाएंगे। असल में सपा ने पिछली विधानसभा में भी शिवपाल यादव की सदस्यता खत्म करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को चिट्ठी भेजी थी। बाद में वह पत्र उन्होंने वापस ले लिया। लगा चाचा भतीजा अब करीब आ गए हैं। चुनाव में करीब आए भी। 
शिवपाल सपा विधायक हो गए, लेकिन यह वक्ती समझौता साबित हुआ। नतीजे आते ही बिखरने लगा। जहां तक शिवपाल के भाजपा में जाने का सवाल है, उस पर निर्णय भाजपा को करना है। वहां से हरी झंडी मिलने पर ही वह अपने पत्ते खोलेंगे। इस बीच वह आजम खां से भी सहानुभूति जता रहे हैं। अपर्णा यादव के जाने के बाद अब अगर शिवपाल यादव भाजपा में शामिल होते हैं तो यह सपा के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। अखिलेश यादव व शिवपाल के बीच चल रहा शीतयुद्ध अब आरोप-प्रत्यारोप में बदलने लगा है। अपने भतीजे व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान को गैरजिम्मेदराना बताते हुए शिवपाल ने कहा कि वह तो सपा के 111 विधायकों में से एक विधायक हैं। अगर मैं भाजपा के साथ हूं तो वह मुझे सपा से निकाल दें।
अखिलेश ने बुधवार को आगरा में शिवपाल यादव का नाम लिए बिना कहा था जो भाजपा के साथ दिखेगा वह सपा के साथ नहीं रहेगा। असल में शिवपाल यादव के भाजपा के साथ जाने की चर्चाएं दिन पर दिन जोर पकड़ रहीं हैं। उसी बाबत सवाल पर अखिलेश यादव ने यह बात कही थी। शिवपाल ने कहा कि यह उनका गैरजिम्मेदाराना बयान है। हमने सपा की साइकिल से चुनाव लड़ा था। अब वह जल्द निर्णय लें और हमें निकाल दें। अपनी पार्टी प्रसपा को फिर से खड़ा करने के संकेत देते हुए कहा कि चुनाव के बाद हर पार्टी में समीक्षा व पुनर्गठन का काम होता है। यह काम उनकी पार्टी में भी हो रहा है। जल्द अब प्रसपा व उसके संगठन को नया रुप देंगे। भाजपा के जाने के बारे में पूछे जाने पर शिवपाल यादव ने सीधा जवाब नहीं दिया उन्होंने कहा कि भाजपा में जाने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है। उचित समय आएगा तो बता देंगे। सपा के सहयोगी दल सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के बयान के संबंध में शिवपाल यादव ने कहा कि उनका फोन आया था लेकिन उपरोक्त मुद़्दों पर कोई बात नहीं हुई। हो सकता है कि किसी और शिवपाल यादव नाम के व्यक्ति से उनकी इस मुद्दे पर बात हुई हो। शिवपाल ने कहा कि राजनीति में शिष्टाचार भेंट होती रहती है। हम भी आजम खान से मिलने के लिए जाएंगे। उनका परिवार हमारे संपर्क में हैं।