रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तकनीक 'कवच' का होगा इस्तेमाल
नई दिल्ली | देश रेल दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए भरतीय रेलवे अब यात्रियों के सुरक्षित सफर के लिए तकनीक 'कवच' को लेकर आई है। जानकारी के मुताबिक कवच एक एंटी कोलिजन डिवाइस नेटवर्क है जो कि रेडियो कम्युनिकेशन, माइक्रोप्रोसेसर, ग्लोबर पोजिशनिंग सिस्टम तकनीक पर आधारित है। इस तकनीक 'कवच' के तहत जब दो आने वाली ट्रेनों पर इसका उपयोग होगा तो ये तकनीक उन्हें एक दूसरे का आकलन करने में और टकराव के जोखिम को कम करने में ऑटोमेटिक ब्रेकिंग एक्शन शुरूकर देगी। इससे ट्रेनें टकराने से बच सकेंगीं।
हालांकि इससे पहले साल 2017 में ही केंद्र सरकार ने एम-कवच ऐप को लॉन्च किया था। यह ऐप हैकर्स से बचाने में बेहद महत्वपूर्ण है, सायबर हमलों की गुंजाइश काम कर देता है। इसे भारत सरकार के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड सिस्टम ने विकसित किया है। सरल भाषा में इसे मोबाइल सुरक्षा से जुड़ा ऐप कहा जा सकता है। अब इस तकनीक का इस्तेमाल भारतीय रेल यात्रियों के सफर को सुरक्षित करने का लिए कर रहा है।
अपने बजट भाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि यात्रियों के रेल सफर को सुरक्षित बनाने वाली तकनीक 'कवच' का इस्तेमाल किया जाएगा। वहीं पूर्वी रेलवे के जनरल मैनेजर अरुण अरोड़ा ने इस बारे में जानकारी दी कि रेलवे सुरक्षा के लिए 'कवच' विश्व स्तरीय तकनीक है। इसके तहत 2 हजार किलोमीटर के रेल नेटवर्क को लाया जाएगा। इस कवच से ट्रेन की गति में सुधार आने के साथ-साथ दुर्घटनाओं को भी रोका जा सकेगा।
वहीं रेलवे मंत्री अश्विन वैष्णव के अनुसार इस तकनीक की मदद से रेलवे 'जीरो एक्सीडेंट' के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगा। उन्होंने इस तकनीक के संबंध में बताया कि ये एसाईएल-4 प्रमाणित है, जिसका अर्थ है- दस हजार सालों में कोई एक गलती की संभावना।
गौरतलब है कि 'कवच' एक स्वदेशी तकनीक है। जिसे भारत मे विकसित किया गया है। इसे भारत सरकार के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड सिस्टम ने विकसित किया है। हालांकि कवच तकनीक कैसे रेल दुर्घटनाओं को कैसे रोकेगी, यह कैसे काम करती है सरकार की ओर से ऐसी कोई जानकारी नहीं जारी की गई है। इस बजट में रेलवे को 2 लाख 45 हजार करोड़ मिला है, जबकि पिछले साल का रेलवे बजट 2 लाख 15 हजार करोड़ का ही था।