लखनऊ। इंसानों पर कुत्तों के हमले की घटनायें लगातार बढ़ती जा रही है। क्या बच्चे और क्या बड़े, सभी कुत्तों के हमलों से लहूलूहान हो रहे हैं। गाजियाबाद में तो एक बच्चे को कुत्ते ने ऐसे नोंच खाया कि उसके चेहरे पर डेढ़ सौ टांकें लगाने पड़े। चाहे घरेलू पालतू कुत्ता हो या फिर स्ट्रीट डॉग्स, सभी के सभी अचानक हिंसक हो गये हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस जानवर को इंसानों का सबसे वफादार और करीबी माना जाता है, वही उसकी जान के दुश्मन क्यों बन गए हैं?
  कहीं इसके पीछे बड़ा कारण मेटिंग सीजन तो नहीं है? सितंबर-अक्टूबर का महीना कुत्तों का मेटिंग सीजन माना जाता है। कई जानवरों की मनोदशा मेटिंग सीजन में बदल जाया करती है। तो क्या कुत्ते भी इसीलिए वॉयलेंट हो गये हैं? क्या बदली मनोदशा के कारण ही वे पहले से ज्यादा उग्र हो गये हैं और इंसानों पर हमले कर रहे हैं? लोगों में इस कारण को लेकर चर्चा आम है लेकिन, विशेषज्ञों ने इसे खारिज किया है।
  यूपी पशुपालन विभाग में रोग नियंत्रण विभाग के हेड रहे डॉ रामपाल सिंह ने कुत्तों के उग्र होने के पीछे इस कारण को जिम्मेदार नहीं माना है। उन्होंने साफ कहा कि ये सिर्फ भ्रम है। कुत्तों के व्यवहार का उनके मेटिंग सीजन से कोई सीधा कनेक्शन नहीं है। कुत्ते बेसिकली उग्र प्रवृति के ही होते हैं। ऐसे में जब उनके लिए असहज स्थिति पैदा होती है या कोई अनजान उनके सामने होता है तो वे उग्र हो जाया करते हैं। जानकारों का मानना है कि घरेलू कुत्तों की ट्रेनिंग बहुत जरूरी है। सिर्फ कुत्ता खरीदकर उन्हें पाल लेने भर से काम नहीं होगा। प्रॉपर ट्रेनिंग जिस कुत्ते को मिलेगी उसका व्यवहार दूसरे कुत्तों के मुकाबले ज्यादा संतुलित रहेगा।