लखनऊ, यूपी में पीडब्ल्यूडी विभाग में ट्रांसफर से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में योगी सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय का तबादला कर दिया गया है, जबकि 5 अन्य अधिकारियों को राज्य सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद निलंबित कर दिया गया है। पीडब्ल्यूडी विभाग जितिन प्रसाद के अंडर में है और उनका विभाग ट्रांसफर पोस्टिंग में भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सवालों के घेरे में है।
  पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय को ट्रांसफर से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाया गया है, जिसके बार उनके ऊपर गाज गिरी है और उन्हें तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दिया गया है। इतना ही नहीं, भारत सरकार से प्रतिनियुक्ति पर आए अनिल पांडेय के खिलाफ विजिलेंस जांच और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति भी की गई है। पांडेय को जितिन प्रसाद ही दिल्ली से यूपी लेकर आए थे।
  18 जुलाई को अनिल कुमार पांडेय के खिलाफ कार्रवाई के बाद लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्ल्यूडी के प्रमुख और मुख्य अभियंता मनोज गुप्ता सहित कुल पांच अधिकारियों को लोक निर्माण विभाग में ट्रांसफर अनियमितताओं के कारण निलंबित कर दिया गया है। पांडेय ने इससे पहले भी जितिन प्रसाद के साथ काम किया है, जब जितिन प्रसाद यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री थे और उन्हें प्रतिनियुक्ति पर लखनऊ लाया गया था। पीडब्ल्यूडी के दो और अधिकारियों पर भी विभाग में तबादलों में गड़बड़ी का आरोप है। माना जा रहा है कि इस मामले के बाद जितिन प्रसाद ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी।   फिलहाल, जितिन प्रसाद न बात कर रहे हैं और न ही किसी के कॉल का जवाब दे रहे हैं। इससे पहले योगी सरकार को तब शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी, जब डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने खुद अपने स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग में तबादलों पर सवाल उठाए थे। मंत्री ने अपने ही विभाग के शीर्ष अधिकारियों को पत्र लिखकर जवाब मांगा था। बाद में कहा गया कि मामला सुलझ गया।