जयपुर। राजस्थान यूनिवर्सिटी में लंबे अर्से से विदेशी विद्यार्थियों के दाखिले ठप थे। इस साल बड़ी संख्या में अफगान छात्रों ने यहां एडमिशन लेने में रुचि दिखाई है। अफगानिस्तान पर तालिबान द्वारा सत्ता हासिल करने के बाद से ही अफगान छात्र अब हिंदुस्तान के शैक्षणिक संस्थानों में अपनी तालीम पूरी करना चाहते हैं। आरयू में अपनी एडमिशन प्रक्रिया पूरी कर रहे अफगान छात्रों में तालिबान को लेकर अपने देश के लिए आशंका और संशय के बादल नजर आते हैं। लेकिन वे उम्मीद कर रहे है कि भारत में उनकी उच्च शिक्षा का ख्वाब पूरा हो सकेगा।
  अफगानिस्तान के काबुल शहर के रहने वाले आफताब राजस्थान यूनिवर्सिटी से बीए ऑनर्स हिस्ट्री में दाखिले के लिए आए हैं। उनकी डिग्री की जांच-परख पूरी होने के बाद उन्हें आरयू से एडमिशन के लिए हरी झंडी मिल गई हैं। इससे आफताब बहुत खुश है कि वो राजस्थान में रहकर अपनी डिग्री पूरी कर सकेंगे। अफगानिस्तान में सत्ता के तख्ता पलट होने के बाद से ही उनकी तरह बहुत से स्टूडेंट्स चिंतित थे कि अपनी उच्च शिक्षा कैसे पूरी करेंगे। लेकिन भारत सरकार द्वारा एजुकेशन वीजा पर उन्हें यह अवसर मिल सका है। बॉलीवुड फिल्में देखकर हिंदी सीख चुके आफताब बखूबी हिंदी में बात करते हैं और बताते हैं कि अफगानिस्तान में भारतीय लोगों को मित्र माना जाता है। इससे उन्हें हिंदुस्तान में आकर भी अपनापन सा महसूस हुआ। आफताब के अनुसार अब अफगानिस्तान में शिक्षा का कोई माहौल नहीं दिखाई दे रहा है। इससे उन्हें आगे के अवसर तलाशते हुए यहां आना पड़ा। यहां उन्हें जमाने के साथ आधुनिक पढ़ाई के मौके मिल सकेंगे। आफताब के साथ ही उनके दो अफगान साथी भी उनका दाखिला करवाने के लिए यहां पहुंचे थे। उनका कहना था कि वो चंडीगढ़ में रहकर निजी यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। यूसूफ बीते तीन साल से भारत में हैं। जबकि आफताब के साथी नूर को भी अब इंडिया सेकेंड होम की तरह लगने लगा है। तालिबान पर बात करते हुए यूसूफ बताते है कि वहां अब रिलिजियस एजुकेशन पर ही फोकस किया जा रहा है। महिलाओं और बच्चों की शिक्षा पर पर्याप्त ध्यान नहीं है। नूर तो अपने देश वापस लौटना भी नहीं चाहते हैं। अफगानिस्तान के पंजशीर से ताल्लुक रखने वाले नूर का कहना है कि वहां जब तक हालात नहीं सुधरते भारत सरकार उनके वीजा को बढ़ाए ताकि वे यहां अपने बाकी पढ़ाई पूरी कर सकें। राजस्थान यूनिवर्सिटी के डीन स्टूडेंट वेलफेयर ऑफिस में अब तक कई विदेशी विद्यार्थियों ने आवेदन किया है। उनमें से प्रमुख तौर पर अफगानिस्तान, यमन, नेपाल से जुड़े छात्र हैं। वे यहां से पीएचडी, एमबीए, एमएससी और बीकॉम के लिए आवदेन कर चुके हैं। पंद्रह विदेशी विद्यार्थियों के दाखिले की प्रक्रिया अभी पूरी होने जा रही है। आरयू में विदेशी विद्यार्थियों के लिए आवेदन प्रक्रिया को सरल और कम फीस के साथ जारी किया गया है ताकि बाहरी देशों के स्टूडेंट्स भी यहां पर पहुंचकर अपनी शिक्षा ग्रहण कर सकें। फिलहाल इन विदेशी विद्यार्थियों की एडमिशन प्रक्रिया चल रही है। आरयू की डीन स्टूडेंट वेलफेयर सरिना कालिया बताती है कि अभी जो भी क्वेरीज आ रही हैं वो ज्यादातर अफगान विद्यार्थियों की हैं। नेपाल समेत अन्य देशों के विद्यार्थी भी यहां आवदेन करने वाले हैं। वे उम्मीद जता रही है कि करीब पचास विद्यार्थी इस सत्र में यहां दाखिला ले सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो यहां विदेशी विद्याथियों के लिए अलग से हॉस्टल खोलने पर भी विचार किया जा रहा है। बहरहाल एक लंबे अर्से से आरयू में पढ़ाई के लिहाज से विदेशी विद्यार्थियों का मोह भंग हो रहा था। लेकिन इस साल बाहरी देशों के छात्रों ने यहां एडमिशन में दिलचस्पी दिखाई है। फिलहाल अफगानिस्तान में हुई सियासी उठापटक इसकी एक वजह जरूर बना है। लेकिन आरयू को उम्मीद है कि यह आने वाले दिनों में दुनिया के नक्शे पटल पर बाहरी देशों के विद्यार्थियों के लिए भी यह बेहतर विश्वविद्यालय जरूर साबित हो सकेगा।