एम्स भोपाल में आठ घंटे चली जटिल सर्जरी के बाद

निकाला  अग्न्याशय का ट्यूमर

 

भोपाल। अखिल भारतीय आयुविज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में हाल ही में स्थानीय, 55 वर्षीय एक व्यक्ति की जटिल सर्जरी कर अग्न्याशय का  ट्यूमर निकालने में सफलता हासिल की है। बीमारी से पीड़ित व्यक्ति पिछले छह महीनों से ऊपरी पेट में गंभीर दर्द और पीलिया की समस्या से परेशान था। अन्य अस्पतालों में चिकित्सा सहायता लेने के बावजूद उसे आराम नहीं मिल रहा था। जब वह एम्स भोपाल के मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी ओपीडी में आया तो परीक्षण के बाद पता चला कि उसे अग्न्याशय कैंसर है। उसकी तकलीफ को कम करने के लिए और पित्त नली की रुकावट को दूर करने के लिए स्टेंटिंग प्रक्रिया की गई।  

स्थिति स्थिर होने के बाद, मरीज को सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में भेजा गया। व्यापक परीक्षणों के बाद पुष्टि हुई कि उसके ट्यूमर को शल्य चिकित्सा द्वारा हटाया जा सकता है। एम्स के चिकित्सक डॉ. नीलेश श्रीवास्तव और उनकी टीम ने व्हिपल प्रक्रिया की तैयारी की, जिससे मरीज के स्वस्थ होने की संभावनाएं बढ़ सकें। करीब आठ घंटे तक चली यह सर्जरी सर्जिकल और एनेस्थीसिया टीमों के संयुक्त प्रयासों से सफलतापूर्वक पूरी हुई, जिसमें डॉ. शिखा जैन का भी विशेष योगदान रहा। ऑपरेशन के बाद, मरीज को सर्जिकल आईसीयू में उत्कृष्ट देखभाल मिली, जिससे उनकी रिकवरी बिना किसी परेशानी के संभव हो पाई।

अग्न्याशय कैंसर अपनी आक्रामकता के लिए जाना जाता है, और प्रभावी प्रबंधन के लिए इसकी प्रारंभिक पहचान अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। ट्यूमर को हटाने के लिए व्हिपल प्रक्रिया, द्वारा की जाने वाली सर्जरी एक जटिल शल्य चिकित्सा है। एम्‍स भोपाल में पिछले एक वर्ष के दौरान 16 अग्न्याशय कैंसर मरीजों का सफल उपचार किया गया। यह उपलब्धि संस्थान की उन्नत चिकित्सा सेवाओं और जटिल स्थितियों के लिए जीवन रक्षक उपचार प्रदान करने के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।  

 

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा कि  प्रत्येक सफल सर्जरी हमारे मरीजों और उनके परिवारों के लिए आशा की किरण लेकर आती । एम्स भोपाल में, हम उपचार की किरण बने रहने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और चिकित्सा उत्कृष्टता के नए मानक स्थापित करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। डा. सिंह ने सफल आपरेशन करने वाली पूरी टीम की मेहनत और समर्पण की सराहना करते हुये कहा कि चिकित्सकों के समर्पण और मेहनत से ही यह जटिल सर्जरी का सफल  हो पाई है।