एम्स भोपाल ने रचा इतिहास.... दुर्लभ सर्जरी से युवा को फिर मिली आंखों की रोशनी
एम्स भोपाल ने रचा इतिहास
दुर्लभ सर्जरी से युवा को फिर मिली आंखों की रोशनी
भोपाल. 25 अक्टूबर। देश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों की इलाज के क्षेत्र में अलग ही पहचान है और समय समय पर शल्य चिकित्सा और इलाज से यह बात सिद्ध भी होती है। एक ऐसी ही शल्य चिकित्सा कर भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सकों ने इतिहास रच दिया है। हाल ही में सड़क दुर्घटना में शिकार हुये युवा की दोनो आंखों की जटिल शल्य चिकित्सा (सर्जरी) कर रोशनी वापस लाकर मरीज के जीवन में फिर से उजाला भरकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। करीब डेढ़ माह पहले 20 अगस्त को भोपाल के पास के ग्राम जैतवारा के 25 वर्षीय युवा की बाईक दुर्घटना से दोनो आंखों की रोशनी समाप्त हो गई थी। दुर्घटना में घायल युवक की बायीं आंख में एथमाथ साइनस हो गया था. इसमें आंखों के बीच की एक छोटी हड्डी के अंदर का खोखला हिस्सा बायीं आंख में पहुंच गया था। इस तरह के पूरी दुनिया भर में 10 से भी कम मामले हैं। ऐसे मरीज की सर्जंरी करना बहुत बड़ी चुनौती थी जिसे एम्स के चिकित्सकों ने स्वीकार कर सफल शल्य चिकित्सा की और मरीज की आंखों में फिर से रोशनी लौट आई।
एम्स भोपाल से मिली जानकारी के अनुसार 20 अगस्त को दुर्घटना के बाद मरीज का एक निजी अस्पताल में इलाज किया गया लेकिन स्थिति बिगड़ने के बाद 26 अगस्त को उसे एम्स भोपाल में भरती कराया गया। मरीज को गंभीर सिरदर्द, दिखायी न देना और नाक से रिसाव की समस्या हो रही थी। परिवार को इस बात का अंदाजा नहीं था कि उसकी बाईं आंख ऑर्बिटल कैविटी में ही थी, और वे समझते थे कि आंख दुर्घटना में बाहर निकल गई थी। एम्स भोपाल में कराई गई एनसीसीटी स्कैन में पाया गया कि मरीज के मस्तिष्क में हवा (प्नूमोसिफेलस) भर गयी है और उसकी बाईं आंख एथमॉइड साइनस में फंसी हुई है। चोट की गंभीरता को देखते हुए इस सर्जरी के लिए न्यूरोसर्जरी, नेत्र रोग, ट्रॉमा और आपातकालीन चिकित्सा, और एनेस्थीसिया विभागों के विशेषज्ञों का सहयोग आवश्यक था। डॉक्टर अमित अग्रवाल (न्यूरोसर्जरी), डॉक्टर भावना शर्मा (नेत्र रोग), डॉक्टर बी एल सोनी (मैक्सिलोफेशियल सर्जन), और डॉक्टर वैशाली वेंडेसकर (एनेस्थीसिया) की टीम ने मरीज की न्यूरोलॉजिकल स्थिति को स्थिर करने के बाद माइक्रोस्कोपी की मदद से बाईं आंख को एथमॉइड साइनस से सफलतापूर्वक निकाल कर सही स्थान पर फिट किया। मरीज की वर्तमान में स्थिति स्थिर है और वह डॉक्टरों की निगरानी में है।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. भावना शर्मा ने बताया कि “यह एक अत्यंत जटिल मामला था, जिसके लिए कई विभागों के विशेषज्ञों का सहयोग आवश्यक था। मरीज की स्थिति गंभीर थी, लेकिन बहु-आयामी दृष्टिकोण के कारण हम इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दे सके।”
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक, प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा, “एम्स भोपाल में हम हमेशा सीमाओं से परे जाकर नई चुनौतियों का सामना करने में विश्वास करते हैं। यह मामला हमारे डॉक्टरों की प्रतिबद्धता और सहयोग की शक्ति का प्रमाण है। मैं अपनी टीम को हमेशा असाधारण सोचने और कुछ नया करने के लिए प्रेरित करता हूं, और यह सफलता इसी का उदाहरण है कि हम जब एकजुट होते हैं तो क्या हासिल कर सकते हैं।” यह दुर्लभ सर्जरी नेत्र और न्यूरोसर्जिकल चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई है, जो एम्स भोपाल के जटिल मेडिकल मामलों को विशेषज्ञता और संवेदनशीलता के साथ संभालने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।