अंतर्यामी ही हैं चूहे के रूप में श्री गणेश वाहन

  डॉ. बालाराम परमार 'हॅंसमुख'

 

आजकल गांव - शहर में गणेशोत्सव चरम उत्कर्ष पर है। गणेश जी घर घर और मोहल्ले मोहल्ले में विराजमान है तथा याचक विघ्नहर्ता से प्रार्थना कर रहे हैं कि 'है गणेश जी मानव के अंदर पाप, कपट, फरेब, धोखाधड़ी, बेईमानी, मिलावटखोरी, जाति- धर्म के आधार पर भेदभाव, भ्रष्टाचारी, लूट – खसोट  जैसी महामारी से जल्दी छुटकारा दिलाओ भगवन। वरना अनर्थ हो जाएगा।

     सर्वविदित है कि भारतीय संस्कृति में देवताओं में श्री गणेश का सर्वोच्च स्थान है। गणेश जी भारतीयों के सर्व और सर्वप्रथम पूज्य देवता है।

 वेद, पुराण और स्मृतियों में उनका उल्लेख मनोकामना पूरी करने वाले देवता के रूप में हुआ है। उपनिषद में गणेश जी को एकदंत, वक्रतुंडायरक्तवर्ण, लंबोदर और विघ्नविनाशक के रूप में उपस्थित किया गया है। विघ्नविनाशक रूप की कल्पना अत्यंत महत्वपूर्ण है। लेकिन देवताओं के वाहनों का जिन लोगों को सही जानकारी नहीं होती है वे अक्सर कहते हैं कि दीर्धकाय गजानन जी के लिए वाहन छोटा-सा जंतु मूषक (माउस) का होना उचित नहीं  लगता है?

आजकल की पीढ़ी को ऊहापोह भरे जीवन में वेद- पुराण के अध्ययन करने का अवसर प्राप्त नहीं होता है।

 उनके मन की शंका  को दूर करने तथा आमजन तक श्री गणेश जी के वाहन चूहे की महत्ता  को पहुंचाना जरूरी है। ताकि हमारी नई पीढ़ी इन देवताओं के वाहनों की महत्ता को समझ सके और हिंदू धर्म की संस्कृति और मान्यताओं को प्रगाढ़ता में अपना योगदान दे सकें।

   इस गरज से देवियों और सज्जनों के संज्ञान में लाया जाता है कि गणेश जी के वाहन के लिए सृष्टि रचयिता ईश्वर ने ही चूहे को नियत किया है । "आखुस्ते पशु:"। अर्थात हे गणेश आपका वाहन मूषक नियत करता हूं । इसका रहस्य यह है कि मनुष्य के मन में सदा अनेक प्रकार के तर्क -वितर्क एवं कुतर्क उठा करते हैं । जिस प्रकार गौमाता सद्गुणों का प्रतीक है, सिंह रजोगुण का प्रतीक है, और सर्प तमोगुण का प्रतीक है , उसी प्रकार चूहा भी तर्क का प्रतीक है। निष्प्रयोजन  अच्छी से अच्छी और कठोर से कठोर वस्तुओं को कुतर डालना चूहे का स्वाभाविक गुण है। गणेश जी के उपासकों के कार्यों में उपस्थित विघ्नबाधाओं को काट छांट कर दूर कर देना गणेश जी के वाहन चूहे का प्रधान कार्य है ।  

     इसलिए  मानव का कर्तव्य है कि अपने कुतर्कों को स्वतंत्र विचरण न करने दें। जिस प्रकार  वाहन चालक  वाहन को अपने वश में रखकर अपनी इच्छा अनुसार गन्तव्य मार्ग की ओर चलाता रहता है, उसी प्रकार  मानव को भी अपनी तर्कशक्ति को अव्यवस्थित न बनने देकर, वेद और शास्त्रों में निर्दिष्ट कर्म मार्गों में ही लगाया रखना आवश्यक है और यही लोक कल्याण के लिए हितकर भी है।

सामान्यतः देखा जाए तो कृषि प्रधान देश भारत में लोक व्यवहार से भी चूहे को विघ्नविनाशक गणेश जी का वाहन मानना उचित प्रतीत होता है । लोक व्यवहार में चूहे संपन्न घरों के प्रतीक माने जाते हैं। जब तक घरों और खेत खलिहानों में भरपूर अनाज होता है तब तक चूहे आनंद से विचरण करते रहते हैं और जब अनाज का अभाव होने लगता है तो चूहे या तो वहां से पलायन करते हैं अथवा मरने लग जाते हैं। फ्लैग जैसी  महामारी के फैलने का कारण भी बड़ी संख्या में  चूहों का मरना ही माना जाता है।

गणेश पुराण में गणेश जी के वाहन 'चूहे' को सभी प्राणियों के हृदयरूपी बिल में रहने वाला अंतर्यामी भगवान का प्रतीक माना गया है और सभी प्राणियों के भोगों को भोगने वाला माना गया है। चूहा मनुष्य के दैनिक जीवन में उपयोग लाई जाने वाली छुपी वस्तुओं को चुराकर खा लेने के बाद भी पुण्य और पाप से रहित होता है । छुपी हुई वस्तु को ढूंढ कर खाने के कारण चूहे को अंतर्यामी की पदवी भी दी गई है और शायद यही कारण है यह अंतर्यामी, गणेश जी की सेवा के लिए चूहा का रूप धारण कर वाहन बना है।

लंबोदर होने के कारण समस्त प्रपंच ( तत्व) गणेश जी के उदर में प्रतिष्ठित है और उससे ही उत्पन्न होती है शरीर के लिए  आवश्यक ऊर्जा और इसी ऊर्जा से हमारा स्वस्थ और सुंदर दैनिक जीवन संचालित है। गणेश जी के कान सुपड़े के समान है अर्थात दीर्घाकार । इसका  तात्पर्य है कि भगवान गणेश अपने भक्तों के हृदय में विराजमान होकर उनके सारे पाप को दूर करके सुख शांति प्रदान करने में सहायता करते  हैं।  विशालकाय भगवान की छोटी - छोटी आंखों  पर सूक्ष्म दृष्टिपात  करने पर हमें ज्ञात होता है कि संसार के जितने भी गूढ़ रहस्य है, उन्हें समझने के लिए सूक्ष्म दृष्टि की ही आवश्यकता होती है। किसी भी विषय पर गहनता से सोच- विचार कर आगे बढ़ना वैज्ञानिक सोच कहलाता है।

गणेश जी, शिव और पार्वती के पुत्र हैं। शिव और पार्वती को श्रद्धा एवं विश्वास का प्रतीक माना जाता है । एक श्रुति के अनुसार आत्मा ही संतान के रूप में प्रकट होती है । इसलिए  भवानी शंकर नंदन में  श्रद्धा और विश्वास दोनों स्वत: प्राप्त है। कठोपनिषद् के अनुसार नचिकेता ने वेद और शास्त्र सम्मत तर्क द्वारा स्वर्ग पर भी विजय प्राप्त कर ली थी। तर्क को कुतर्क न होने देने के लिए श्रद्धा विश्वास के प्रतीक गणेश जी को मूषक के ऊपर स्थापित किया गया है। कलयुग का मनुष्य अंधविश्वास से अपना अनर्थ न कर बैठे इसलिए उसे तर्क रूपी चूहे को गणेश जी का वाहन बना कर आगाह किया गया है। आज के संसार में तर्क को प्रायः कुतर्क में बदलने की  चेष्टा निरंतर हो रही है । विशेषकर मुगलों और अंग्रेजों के शासन काल में भारतवर्ष की सनातन संस्कृति और शिक्षा- शिक्षण परंपरा  को नष्ट कर अपने धर्म और शासन व्यवस्था के हिसाब से बदलाव लाकर कुछ ऐसे विषाद भरे पठन-पाठन का प्रचलन शुरू किया था। एक ऐसी विचारधारा का प्रतिपादन किया गया  जिससे भारतवर्ष में युगों - युगों से विद्यमान सनातन धर्म और हिंदू धर्म की महान मान्यताओं, परंपराओं और रीति रिवाजों  पर कुठाराघात हुआ। शायद यही कारण है कि हमारे ऋषियों ने श्रद्धा विश्वास के प्रतीक गणेश जी को मूषक पर बैठाया  है ।

भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान सम्मत कार्य करने की शक्ति दो मूषक पर विराजमान गणपति जी !!

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डॉ बालाराम परमार' हॅंसमुख'