20 किलो वजनी पुनेरी ढोल ने और फेमस कर

दिया इंदौर की गायिका आकांक्षा को

इंदौर .. (कीर्ति राणा) । धार्मिक शोभायात्रा में पुनेरी ढोल बजाती युवतियां तो आकर्षण का केंद्र रहती ही हैं, इंदौर की गायिका आकांक्षा जाचक शेट्टी इन सब से एक कदम आगे है। भारी भरकम पुनेरी ढोल बजाती-गाती-गरबा कराती आकांक्षा की यह रील खूब वॉयरल हो रही है। उनके इस नये रूप का क्रेज ऐसा है कि औरंगाबाद में अब वो सात दिन यही ढोल बजाने के साथ गरबा कराने जा रही हैं।

देश में गरबा गायन में फाल्गुनी पाठक सहित अन्य गायिकाओं का नाम जाना-पहचाना है। इन नामचीन गायिकाओं पर अपने पुनेरी ढोल के कारण आकांक्षा भारी पड़ती नजर आ रही हैं। इस ढोल के साथ गरबे गातीं इंदौर की वो देश में एकमात्र महिला गायिका कलाकार हैं। आकांक्षा का मंच पर थ्री इन वन रूप नजर आता है, करीब 20 किलो वजनी यह ढोल गले में लटकाए, 7-8 किलो वजनी लहंगा पहने वो थिरकती और गरबा गाती हैं तो सैकड़ों युवक-युवतियां मस्ती में झूमने लगते हैं। यही वजह है कि यह रील वॉयरल होने के बाद उनकी मांग बढ़ गई है।

आकांक्षा ने चर्चा में बताया कि यह रील होटल मेरियट में इंदौर टॉक द्वारा आयोजित तीन दिवसीय फैमिली गरबा के दौरान की है जहां उन्होंने पुनेरी ढोल के साथ गरबा कराया था। पुनेरी ढोल के साथ किसी गायिका का यह इनोवेशन पहली बार देखा है, यह आयडिया कैसे आया? आकांक्षा कहती हैं- मैं महाराष्ट्रीयन हूं। लेझिम, ढोल से लगाव स्वाभाविक है। महाराष्ट्र में धार्मिक कार्यक्रम गणेशोत्सव आदि में ये ढोल तो अनिवार्य सा है। यहां भी कई बार नागपुर, पुणे, नासिक आदि के वादक दल आते रहे हैं।

नितेश (पति) का म्यूजिकल बैंड है। उनसे कहा इस बार गरबे में कुछ  नया करते हैं, पुनेरी ढोल के साथ मैं गरबा गाऊंगी। आयडिया ठीक तो था लेकिन ढोल की व्यवस्था कैसे हो? ढोल के लिये युवराज भैया से बात की, उन्होंने ध्वज पताका टीम वाले ललित सावंत से ढोल की व्यवस्था करा दी। इंदौर टॉक के गरबे से एक दिन पहले ढोल मिल तो गया लेकिन प्रेक्टिस हुई नहीं थी, फिर ढोल का वजन ही 20 किलो, गले में लटकाने के लिये बार-बार मोटी रस्सी बांधने की झंझट का हल नितेश ने ढोल के दोनों तरफ गिटार वाला बेल्ट बांध कर निकाला और इस बेल्ट पर भी चुनरी लपेट दी।

फैमिली गरबा था, फिल्मी गीत गाने से परहेज किया और फॉस्ट रिदम वाले भजन ‘विट्ठल-विट्ठल हरिओम विट्ठला’ और ‘गजानना गणराय’

गाए, ढोल बजाया, नितेश की टीम ने सहयोग किया। कब-किसने रील बनाई, वॉयरल कर दी, यही रील घूम फिर कर मेरे और नितेश के पास भी आई, तब समझ आया कि पुनेरी ढोल का कितना क्रेज है। ढोल वाले परफार्मेंस वाली यह रील औरंगाबाद में एक मंडल वालों ने देखी 15 से 22 अक्टूबर तक पोस्ट नवरात्रि उत्सव में शामिल होने का निमंत्रण दे दिया।

🔹बस मुंडी-मुंडी नजर आती है

आकांक्षा का कद छोटा होने और 20 किलो वजनी ढोल की चौड़ाई अधिक होने का माइनस पॉइंट यह भी है कि जब वो मंच पर ढोल बजाना-गाना शुरु करती हैं तो उनकी मुंडी (मुंह) ही नजर आती है। दस साल से नवरात्रि में नंगे पैर रहने और शो समाप्त होने के बाद उपवास छोड़ने वाली आकांक्षा कहती हैं शायद यह देवी आराधना का सुफल ही है कि गाते हुए इतना भारी ढोल आधा आधा घंटे बजाना, थिरकना मुश्किल तो रहता है लेकिन अब तक तो किसी तरह की परेशानी नहीं हुई है।

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 श्री कीर्ति राणा, वरिष्ठ पत्रकार , इंदौर