मंगलवार, 04 जून को मतगणना है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव श्रीमती प्रियंका वाड्रा ने  अपने एक बयान में कहा है कि यदि ईवीएम में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई तो भारतीय जनता पार्टी को 180 से ज्यादा सीटें नहीं मिल सकती. इसके पहले भी विपक्षी दलों के नेता भी इस तरह की आशंका जता चुके हैं. जबकि चुनाव आयोग ने इस सम्बंध में बार बार कहा है कि ये आशंका निर्मूल है. ईवीएम में छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. हारने वाले दल निश्चित ही ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगायेंगे.

मतदान के बाद ईवीएम को सुरक्षित रखने और मतगणना की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होती है. इस सम्बंध में डा. रजनीश श्रीवास्तव ने मतगणना की मतदान के बाद मतगणना करने की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से बताया है. उम्मीद है पाठकों के मन में उठ रहे सवालों का जवाब इस आलेख में मिल जायेगा. फिर भी यदि किसी पाठक को इस सम्बंध में कोई शंका है तो डा. श्रीवास्तव से उनके मोबाईल नम्बर 9407295223 पर सम्पर्क कर सकते हैं.    

 

 

 

आलेख...

मतदान प्रतिशत के आंकड़ों में हेरफेर करना असम्भव

 

  • डॉ रजनीश श्रीवास्तव

 

 

 

   अभी कुछ दिनों से सोशल मीडिया, समाचार पत्र और विभिन्न टीवी चैनलों में एक बेबुनियाद बात पर बहुत बहस हो रही है, कि मतदान के प्रतिशत का आंकड़ा भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सही-सही क्यों नहीं दिया जा रहा और इसमें अनियमितता की जा रही है,और यह भी आरोप लगाए गए की सत्ता पक्ष निर्वाचन आयोग के माध्यम से और निर्वाचन में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों के माध्यम से स्ट्रांग रूम  सील होने के बाद निर्वाचन में हुए मतदान के प्रतिशत को किसी पक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए घटा और बढ़ा रहा है।

 

    इसके लिए कुछ मूलभूत बातों को समझना अति आवश्यक है-

 

    प्रथम तो यह कि मतदान का प्रतिशत ईवीएम में ना तो बढ़ाया जा सकता है और ना ही कम किया जा सकता है। क्योंकि जब ईवीएम को स्ट्रांग रूम में एक बार सील कर दिया जाता है तो स्ट्रांग रूम मतगणना दिनांक के पहले खोला नहीं जा सकता।

 

   यदि किसी मतदान केंद्र के मतदान का प्रतिशत बढ़ाना होगा तो ईवीएम में वोट डालने होंगे और इसके लिए सील्ड स्ट्रांग रूम खोलकर प्रत्येक  ईवीएम की सील को खोल कर वोट डालकर ही मतदान का प्रतिशत बढ़ाया जा सकता है। यह काम असम्भव है।

 

    क्या आपको यह मालूम है कि दुनिया का सबसे मजबूत और विश्वसनीय ताला किस चीज का बना है।

 

    मैं आपको बताता हूं, सबसे मजबूत ताला कागज का बना होता है जिसको एकबार खोलने के बाद दोबारा मूल रूप से बन्द नहीं किया जा सकता। एक बार कागज की सील खोलने के बाद फटे हुए कागज की सील को पूर्व की तरह जोड़ा नहीं जा सकता। इसीलिए निर्वाचन के प्रत्येक स्टेप पर जहां भी बीयू,सीयू और वीवीपीएटी या स्ट्रांग रूम सील किया जाता है वहां पेपर सील का उपयोग किया जाता है।और प्रत्येक सील का एक निर्धारित नम्बर व उसपर एक कोड छपा होता है। जब ईवीएम की कमिश्निंग की जा रही होती है उस समय विभिन्न राजनीतिक दलों के उपस्थित एजेंट द्वारा कागज की सील पर हस्ताक्षर किये जाते हैं और बैलट  पेपर लगाते समय लगाई गई कागज की सीलों पर भी एजेंट अपने हस्ताक्षर करते हैं।

 

   इसी प्रकार मतदान के दिन मॉक पोल के पहले और मतदान समाप्ति के बाद पोलिंग एजेंट के हस्ताक्षर भी पेपर सील पर ईवीएम सील करते समय लिए जाते हैं।

 

   मतदान की प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात पीठासीन अधिकारी एक बैलेट पेपर अकाउंट बनाता है जिसमें यह स्पष्ट लिखा गया होता है कि कुल कितना मतदान हुआ है और उस मतदान केंद्र पर कुल कितने मतदाता थे और इस बैलट पेपर अकाउंट की एक-एक प्रति  मतदान के समय उपस्थित सभी दलों एवं निर्दलीय प्रत्याशी के पोलिंग एजेंट को दी जाती है।

 

    इसके पश्चात जब मशीन स्ट्रांग रूम में जमा होती हैं तो वीडियो रिकॉर्डिंग करते हुए सभी राजनीतिक दलों के अभ्यर्थियों या उनके इलेक्शन एजेंटों की उपस्थिति में स्ट्रांग रूम सील किए जाते हैं। जिसमें ताले लगाकर  ताले के ऊपर कपड़े की सिलाई की जाकर चपड़ी (लाख) लगाकर  सील लगाई जाती है। उसके बाद स्ट्रांग रूम के दरवाजे के जोड़ पर कागज को गोंद से चिपका कर सील किया जाता है।सील करते समय उस कागज पर निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों या उनके इलेक्शन एजेंट और निर्वाचन अधिकारी , कोषालय अधिकारी व अन्य अधिकारियों के हस्ताक्षर किए जाते हैं।

 

    जब मतगणना के समय स्ट्रांग रूम खोला जाता है तो सबसे पहले इसी कागज की सील को अभ्यर्थियों को दिखाया जाकर चेक कराया जाता है और सभी अभ्यर्थियों को दिखाया जाता है कि यह कागज की सील मूल रूप में है। उस समय वीडियो रिकॉर्डिंग भी होती है और स्ट्रांग रूम खुलने के बाद मशीन  मतगणना के लिए निर्धारित रूम में पहुंचाई जाती है। ईवीएम को मतगणना कक्ष तक ले जाने की जगह तक कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाती है और वीडियो रिकार्डिंग की जाती है।

 

   मतगणना कक्ष में  जो काउंटिंग एजेंट विभिन्न राजनीतिक दलों के उपस्थित होते हैं उन्हें वह मशीन और उनकी पेपर सील दिखाई जाती है कि मशीन पूरी तरह से सील है और उन पर उनके एजेंट के हस्ताक्षर हैं।उनकी सन्तुष्टि के  बाद ही मशीन खोलकर डिस्प्ले के माध्यम से गणना की जाती है और वह डिस्प्ले सभी को दिखाया भी जाता है। मतगणना कक्ष में पूरे समय वीडियो रिकॉर्डिंग होती रहती है।

 

    अब सवाल यह उठता है कि मतदान प्रतिशत में कमी और  अधिकता क्यों हुई।

 

    इसके लिए यह समझना आवश्यक है कि  मतदान दल मतदान के बाद वापस आकर जब सामग्री जमा करता है तो हस्तलिखित मत पत्र लेखा जिसमें ईवीएम में पड़े कुल मत तथा महिला पुरुष व अन्य मतदाता का विवरण दिया गया होता है।

 

    इसके साथ ही पीठासीन अधिकारी की डायरी भी जमा कराई जाती है।

 

     निर्वाचन कार्यालय का स्टाफ कंप्यूटर ऑपरेटर के माध्यम से कंप्यूटर में एक्सेल शीट में डाटा एंट्री करता है और विधानसभा वार कुल मतदाता और पड़े हुए मत की एंट्री कर मतदान का प्रतिशत निकालते हैं।

 

     अब गलती होने की संभावना कहां है?

 

    पीठासीन अधिकारी की डायरी एवं मतपत्र लेखा में किस प्रकार से सम्पूर्ण तथ्य अंकित किया गया है। हिंदी के अंकों में अंकित किया है या अंग्रेजी के अंकों में अंकित किया है। उसे पढ़ने और समझने में कंप्यूटर ऑपरेटर त्रुटि कर सकता है उसके अलावा डाटा एंट्री करते समय की बोर्ड पर अंक डालते समय त्रुटि हो सकती है। उदाहरण के लिए कुल चार अंक में यदि मत पड़े हैं और त्रुटि वश ऑपरेटर ने मात्र तीन अंको की एंट्री कर दिया तो मतदान का प्रतिशत निश्चित रूप से कम हो जाएगा इसके विपरीत यदि  गलती से तीन अंक की जगह चार अंकों में डाटा एंट्री कर दिया तो मतदान का प्रतिशत बढ़ा हुआ गलत दिखेगा। इस एक्सेल शीट का बाद में विभिन्न स्तरों पर  मिलान किया जाकर मतदान प्रतिशत के आंकड़े को अंतिम रूप दिया जाता है।

 

   फिर भी इस आंकड़े से वास्तविक मतदान के प्रतिशत में कोई भी अंतर नहीं होता क्योंकि जो मतदान हुआ है उसका बैलट पेपर अकाउंट प्रत्येक मतदान केंद्र पर प्रत्येक दल के और निर्दलीय उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट को मतदान के दिन मतदान की समाप्ति के तत्काल बाद ही दे दिया जाता है। ऐसी स्थिति में बाद में किसी भी प्रकार से मतदान प्रतिशत में हेर फेर किया जाना संभव ही नहीं है।

 

    यह सिर्फ मानवीय त्रुटि से हो सकता है कि एक्सेल शीट बनाते समय आंकड़ों में कुछ त्रुटि आ जाए जिसे समय रहते सुधार कर पुनः प्रकाशित कर दिया जाता है। इसलिए ईवीएम में हुए मतदान के वास्तविक मतदान प्रतिशत में किसी भी प्रकार की कमी या ज्यादा करने की कोई भी संभावना नहीं है।

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