जयपुर । देश के विभिन्न क्षेत्रों में पड़ रही भीषण गर्मी एवं कोविड के उपरान्त आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी की वजह से सम्पूर्ण  देश में बिजली की मांग बहुत तेजी से बढी है। प्रदेश में भी बिजली की मांग में तेजी से बढोतरी हुई है। बिजली की मांग में बढोतरी के चलते  देश के विभिन्न राज्यों में 7-8 घंटे बिजली कटौती हो रही है। प्रमुख  शासन सचिव ऊर्जा एवं अध्यक्ष डिस्कॉम भास्कर ए. सावंत ने बताया कि गत वर्ष अप्रेल माह में बिजली की मांग प्रतिदिन लगभग 2131 लाख यूनिट थी और अधिकतम मांग 11570 मेगावाट थी वह चालू वर्ष में बढकर लगभग 2800 लाख यूनिट प्रतिदिन व अधिकतम 13700 मेगावाट पहुंच गई है। इस तरह प्रदेश में बिजली की मांग 31  प्रतिशत बढ गई है। बिजली की बढी हुई मांग को पूरा करने के लिए एनर्जी एक्सचेंज सहित अन्य स्त्रोतों से भी मंहगे दामों में भी बिजली नही मिल पा रही है। उन्होने बताया कि  देशव्यापी कोयला संकट के कारण विद्युत उत्पादन प्रभावित हुआ है। अतिरिक्त मांग के अनुसार तापीय विद्युत गृहो को पर्याप्त कोयले की आपूर्ती नही होने की वजह से विद्युत उत्पादन इकाईयां पूर्ण क्षमता के साथ विद्युत का उत्पादन नही कर पा रही है। इसके परिणामस्वरुप विद्युत की उपलब्धता में कमी आई आई है। कोयले की कमी का सामना  देश के कई राज्यों के साथ ही प्रदेश के तापीय विद्युत गृहो को भी करना पड़ रहा है। प्रदेश के थर्मल पावर स्टेशन की विद्युत उत्पादन क्षमता 10110 मेगावाट है, जिनसे लगभग 6600 मेगावाट विद्युत का प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है। ऐसी स्थिति में  आवश्यक सेवाओं जैसे अस्पताल, आक्सीजन सेन्टर, पेयजल आपूर्ती व मिलिट्री इन्स्टालेशन आदि को सुचारु निर्बाध बिजली की आपूर्ति के लिए  प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही  शहरी क्षेत्रों ( जिला मुख्यालय एवं संभागीय मुख्यालय के अतिरिक्त) में रोस्टर के अनुसार बिजली कटौती करना निहायत जरुरी हो गया है।